नॉन नेट फेलोशिप की मांग को लेकर BHU के छात्रों का धरना 23वें दिन भी रहा जारी, छात्रों ने सेंट्रल ऑफिस से निकाला शांति मार्च
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित सेंट्रल ऑफिस पर नॉन नेट फेलोशिप की मांग को लेकर छात्रों का धरना 23वें दिन भी जारी रहा और यहां पर बैठे शोध छात्रों का छठवां दिन क्रमिक अनशन चल रहा है।
बता दें की छात्र अपने मांग पर अड़े हुए हैं। छात्र किसी भी कीमत पर अपना धरना प्रदर्शन व क्रमिक अनशन खत्म करने के मूड में दिखाई नहीं दे रहे हैं। इसी क्रम में आज शोध छात्रों ने सेंट्रल ऑफिस से शांति मार्च निकाला जो विभिन्न मार्गो से होते हुए मालवीय भवन तक पहुंचेगी, जहां पर मालवीय जी की स्थापित प्रतिमा को नमन करने के बाद यह मार्च पुणे सेंट्रल ऑफिस जाकर समाप्त होगा।
शोध छात्र कैलाश और अभिषेक सिंह का कहना है कि 23 दिनों के बाद भी कोई भी उच्च अधिकारी हम छात्रों का कुशलछेम जानने नहीं पहुंचा है, जबकि हम लोगों की बिल्कुल जायज मांग है। छात्रों ने कहा कि मालवीय कई वर्षों तक विश्वविद्यालय के कुलपति रहे हैं और छात्रों के सुख-दुख में साथ खड़े मिलते थे। कैलाश ने कहा कि हम चाहते हैं कि मालवीय कुलपति के सपने में आए और उनका मार्ग प्रशस्त करें ताकि हम बच्चों की बातें जल्द से जल्द सुनी जाए।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में शोध छात्रों ने सिंहद्वार से मार्च निकालकर सेन्ट्रल ऑफिस पहुंचकर घेराव किया था। छात्रों का समूह नॉन नेट फेलोशिप में वृद्धि को लेकर कुलपति को ज्ञापन देने पहुंचा था। लेकिन उन्हें बाहर ही रोक दिया गया। जिसपर छात्रों ने अपनी नाराज़गी जताई।
शोध छात्रों का कहना है कि उनको 8 हजार रुपए नॉन नेट फेलोशिप मिलता है, जिसको बढ़ाकर 25 हजार रुपए तक किया जाए। छात्रों ने इसी मांग को लेकर आधे घंटे तक विरोध दर्ज कराया। जिसके बाद छात्रों के बीच विश्वविद्यालय प्रशासन के लोग मौके पर पहुंचे और उन्होंने छात्रों के ज्ञापन को लेकर उस पर विचार करने की बात कही। इसके बाद छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन खत्म किया।
नॉन नेट फेलोशिप 8 हजार से 25 हजार बढ़ाने के लिए अर्जी की विरोध दर्ज करा रही एक छात्रा ने कहा कि रिसर्च स्कॉलर की फेलोशिप लगातार बढ़ रही है। लेकिन नॉन नेट फेलोशिप में कोई वृद्धि नहीं हो रही है। हम सभी उम्मीद लगा कर आए थे कि हम अपने कुलपति से अपनी बातों को करेंगे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं करने दिया गया।
वहीं, एक छात्र ने बताया कि हमारी मांग हैं कि हमारे नॉन नेट फेलोशिप में वृद्धि किया जाये। विश्वविद्यालय द्वारा 2006 से सिर्फ 8 हजार रूपए ही दिए जा रहे हैं। अन्य विश्वविद्यालय ने अपने नॉन नेट फेलोशिप में वृद्धि कर दिया है। लेकिन बीएचयू में वृद्धि नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि महंगाई के साथ-साथ छात्रों की जरूरत अन्य जरूरतों में वृद्धि होती है। कुछ छात्र अपने घर का भी खर्चा उठाते हैं। हम चाहते हैं विश्वविद्यालय हमारे बातों को सुनें और फेलोशिप में वृद्धि करें।
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