BHU संगीत व मंच कला संकाय में सुरों की साधना, मनमोहक प्रस्तुति की खूब हुई सराहना 

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वाराणसी। बीएचयू के संगीत एवं मंचकला संकाय के पंडित ओंकारनाथ ठाकुर सभागार में गुरुवासरीय कार्यक्रम शृंखला की अगली कड़ी का सफल आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत परंपरागत रूप से प्रार्थना "मंगल मूरति मारुति नन्दन" का गायन डॉ. मधुमिता भट्टाचार्या एवं उनकी शिष्याओं द्वारा किया गया। इस दौरान तबले पर पंकज राय तथा हारमोनियम पर डॉ० इन्द्रदेव चौधरी ने संगत की। 

मां सरस्वती, भारतरत्न महामना मदन मोहन मालवीय एवं संगीत एवं मंचकला संकाय के संस्थापक संगीत मार्तण्ड पंडित ओंकार नाथ ठाकुर की प्रस्तर प्रतिमा पर माल्यार्पण हुआ। कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति के रूप में गायन विभाग के शोधार्थी प्रियांशु घोष का गायन हुआ। आपने राग मेघ मल्हार में विलम्बित एकताल में "आयो री बरखा रुत आयो", मध्यलय एकताल में "सावन की घटा छाई" तथा द्रुत रूपक ताल में "बादर गरज नभ घोर शोर" प्रस्तुत किया। अंत में आपने भजन "अपनी बानी प्रेम की बानी" से समापन किया। तबले पर सिद्धांत मिश्र तथा हारमोनियम पर हर्षित उपाध्याय ने संगत की।

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कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति में वाद्य विभाग के उपाचार्य डा. निखिल भगत ने स्वतंत्र तबला वादन किया। उन्होंने रूपक ताल में पेशकार, कायदा, रेला, चलन-रौ, गत, टुकड़ा, चक्करदार आदि प्रस्तुत किया। हारमोनियम पर मोहित सहानी ने कुशल संगति की। कार्यक्रम की अध्यक्षता संकाय प्रमुख प्रो. संगीता पण्डित ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन शोधार्थी कृष्ण कुमार तिवारी तथा धन्यवाद-ज्ञापन वाद्य विभाग के उपाचार्य डॉ. प्रेमकिशोर मिश्र ने किया।

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