टीबी उन्मूलन के लिए वाराणसी में जागरूकता अभियान, मरीजों को वितरित की गई पोषण पोटली

वाराणसी। हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य क्षय रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे समाप्त करने के लिए लोगों को प्रेरित करना है। वर्ष 2025 की थीम "Yes! We Can End TB: Commit, Invest, Deliver" रखी गई है, जो इस बीमारी के उन्मूलन के लिए प्रतिबद्धता, निवेश और समर्पण को दर्शाती है। इस अवसर पर वाराणसी में एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय, कबीरचौरा और हेरिटेज मेडिकल कॉलेज में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने जहां जन-जागरूकता रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, वहीं संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया।
इसके अलावा, फीडिंग इंडिया संस्था के सहयोग से विभिन्न चिकित्सा इकाइयों में टीबी मरीजों को 310 पोषण पोटली वितरित की गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने जानकारी दी कि एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय, कबीरचौरा, पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय, शहरी और ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में पोषण पोटली का वितरण किया गया। इस पहल का उद्देश्य मरीजों को बेहतर पोषण उपलब्ध कराना है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़े और टीबी से उबरने में मदद मिले।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. पीयूष राय ने बताया कि टीबी के मामलों की शीघ्र पहचान और उपचार के लिए भारत सरकार ने 7 दिसंबर 2024 को '100 दिवसीय गहन टीबी उन्मूलन अभियान' की शुरुआत की थी। इस अभियान के तहत वाराणसी में 24 मार्च 2025 तक 6,15,733 लोगों की टीबी स्क्रीनिंग की जा चुकी है, जबकि 9,781 लोगों का नाट टेस्ट किया गया है। यह पहल टीबी के मामलों की शीघ्र पहचान और समय पर उपचार सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
क्या है टीबी और कैसे फैलता है?
टीबी एक संक्रामक रोग है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकता है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बातचीत करता है, तो यह बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं और सांस के माध्यम से स्वस्थ व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं। यदि समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह रक्त और लसीका प्रणाली के माध्यम से मस्तिष्क, हड्डियों, किडनी और हृदय को भी प्रभावित कर सकता है। इसे एक्सट्रा-पल्मोनरी टीबी कहा जाता है।