आर्य महिला पी.जी. कालेज में 'स्त्री शिक्षा परंपरा का ताना-बाना' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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वाराणसी। स्त्री शिक्षा एवं सशक्तिकरण के संदर्भ में भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रकाशमय पक्ष से युवा पीढ़ी को परिचित कराने की आवश्यकता है। सशक्त स्त्री सशक्त राष्ट्र का निर्माण करती है। यह बातें शनिवार को आर्य महिला पी.जी. कालेज में प्रवक्ता प्रोफेसर भावना त्रिवेदी ने बतौर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कही।

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महिला अघ्ययन प्रकोष्ठ (तेजस्विनी) द्वारा विद्या देवी के निर्वाण दिवस के उपलक्ष्य में 'स्त्री शिक्षा परंपरा का ताना-बाना' विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में उन्होंने आगे बोलते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में स्त्री की स्थिति को वैज्ञानिक एवं तार्किक तरीके से समझने के लिए वैदिक युग, धर्म शास्त्रीय युग तथा भारतीय पुनर्जागरण एवं पुनरुत्थान के काल पर अध्ययन एवं शोध आवश्यक है, क्योंकि वैदिक एवं धर्म शास्त्री युग में लिखे गए मूलशास्त्रों में वर्तमान युग की हर समस्या का संभावित समाधान छिपा है।

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विशिष्ट वक्ता प्रोफेसर बृजबाला सिंह ने उक्त विषय को श्री आर्य महिला हितकारिणी महापरिषद द्वारा संस्थापित एवं संचालित समस्त शिक्षण संस्थानों की संस्थापिका पूजनीया विद्या देवी के जीवनचरित और समाज में स्त्री शिक्षा के प्रति उनके योगदान पर केंद्रित करते हुए कहा कि विद्या देवी का आविर्भाव एक ऐसे युग में हुआ जब स्त्री शिक्षा के प्रति समाज उदासीन था। ऐसे समय में विद्या देवी ने काशी आकर स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने का तथा शिक्षा के संस्कारों से समाज के लोगों को अलंकृत करने का प्रयास किया। 

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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉक्टर शशीकांत दीक्षित ने कहा कि महिलाओं की शिक्षा विकास का एक महत्वपूर्ण कारक है। जिसने महिलाओं का स्तर और उनकी समाज में भूमिका को उठाने में सहायता की है। शिक्षा के द्वारा एक महिला असहाय व अबला से सषक्त और सबला बनती है।

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राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम सत्र में अतिथियों का स्वागत और महिला पीजी कॉलेज की प्राचार्या प्रोफेसर रचना दुबे, धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर ममता गुप्ता और संचालन डॉक्टर पूनम ने किया। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में 15 शोध पत्र पढ़े गए। इस सत्र की अध्यक्षता डॉक्टर प्रीति ने की और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनीता यादव ने दिया।

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की आयोजक प्रोफेसर सुचिता त्रिपाठी थी। महिला अध्ययन प्रकोष्ठ के सभी सदस्यों के साथ महाविद्यालय परिवार के शिक्षक शिक्षिकाएं शोध छात्र- छात्राएं उपस्थित रहे।

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