चावल की खेती में अब एआई तकनीकी का होगा इस्तेमाल, माइक्रोसाफ्ट व अन्य कंपनियां करेंगी सहयोग 

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वाराणसी। कंप्यूटर से इंसानों की हूबहू आवाज व व्यवहार निकालने के लिए होने वाली आर्टिफिसिएल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीकी का इस्तेमाल अब चावल की खेती में भी किया जाएगा। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (इरी) के वाराणसी स्थित दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (आइसार्क) में बुधवार को एक विशेष विचार-मंथन सत्र आयोजित किया गया। इसमे उत्तर प्रदेश में चावल की खेती में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और डिजिटल-आधारित समाधानों को एकीकृत करने और उसका लाभ उठाने के अवसरों पर चर्चा की गयी। आइसार्क के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ बैठक में विश्व बैंक के 2030 जल संसाधन समूह एवं माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft), क्लिक2 क्लाउड (Click2Cloud) आदि तकनीकी कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।


उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में कृषि सहित प्रमुख क्षेत्रों में विकास का समर्थन करने एवं एआई और डिजिटल तकनीकों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए 2024 की शुरुआत में लखनऊ में एक एआई उत्कृष्टता केंद्र (COE) शुरू किया। इसी संदर्भ में यू.पी. एक्सेलेरेटर प्रगति परियोजना के अंतर्गत प्रदेश  में चावल किसानों तक एआई और डिजिटल तकनीकों का लाभ पहुँचाने के लिए उपयोग के मामलों और अवसरों पर गहन विचार-विमर्श करने के लिए इस  विचार-मंथन चर्चा का आयोजन किया गया। चावल की खेती में एआई को एकीकृत करने से मिट्टी के स्वास्थ्य, मौसम और कीटों पर वास्तविक समय का डेटा प्रदान करके फसल प्रबंधन को बढ़ाया जा सकता है, जिससे अनुकूलित सिंचाई, उर्वरक प्रबंधन और कीट नियंत्रण संभव हो सकता है। इससे पैदावार बढ़ेगी और संसाधनों का उपयोग कम होगा, लागत और पर्यावरणीय प्रभाव कम होगा। एआई बेहतर भंडारण और परिवहन प्रबंधन के माध्यम से कटाई के बाद होने वाले नुकसान को भी कम कर सकता  है। कृषि व्यवसाय और कृषि-उद्यमिता का समर्थन करने के लिए, एआई आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता, दक्षता और खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है, जबकि बाजार की प्रवृत्ति की भविष्यवाणी और मांग का पूर्वानुमान प्रदान करता है। यह अंततः किसानों को सशक्त बनाएगा, उत्पादकता को बढ़ावा देगा, स्थिरता का समर्थन करेगा और क्षेत्र की दक्षता और चावल आधारित कृषि खाद्य प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ाएगा।


बैठक में आइसार्क के प्रमुख वैज्ञानिकों ने कम उत्सर्जन वाली चावल प्रौद्योगिकियों पर भी वार्ता की। उनकी सहायता से चावल की उत्पादकता को प्रभावित किए बिना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में मदद मिल सकती हैं। इन प्रौद्योगिकियों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से लड़ने के वैश्विक प्रयासों में बढ़ावा मिलेगा और एआई एकीकरण से इन प्रयासों को और गति मिल जाएगी। इस सहयोगात्मक चर्चा से परियोजना के अगले चरणों के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया गया। जिससे कृत्रिम बुद्धिमत्ता(एआई) के एकीकरण के माध्यम से चावल उत्पादन में क्रांति लाने, टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने और किसानों की आजीविका को बढ़ाने के लिए ठोस कदम लिए जा सके।

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