BHU स्थित कृषि विज्ञान संस्थान में 'द लास्ट हीरो ऑफ बनारसः बाबू जगत सिंह' नामक शोध ग्रंथ का हुआ लोकार्पण

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वाराणसी। भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम 1857 के 58 वर्ष पूर्व 1799 में बनारस से ही कान्ति प्रारम्भ हो गई थी। जगतगंज, राजपरिवार के बाबू जगत सिंह ने वजीर अली खॉन के साथ मिलकर ईस्ट इंडिया कंपनी के विरूद्ध रक्तरंजित सशस्त्र विद्रोह किया था। इस अनकहा सच को सामने लाने के लिए प्रकाशित शोध ग्रन्थ "द लास्ट हीरो ऑफ बनारसः बाबू जगत सिंह" का लोकार्पण आज बुधवार को सायं, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित कृषि विज्ञान संस्थान के शताब्दी कृषि प्रेक्षागृह में किया गया।

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इस अवसर पर इस ग्रन्थ के शोधकर्ता प्रसिद्ध इतिहासवेत्ता डॉ. एच. ए. कुरैशी, मण्डलायुक्त कौशल राज शर्मा, डॉ. श्रेया पाठक, प्रो. राणा पी. बी. सिंह, प्रो. अवधेश प्रधान, प्रो. दीपक मलिक, प्रो. कमल शील, प्रो. विदुला जायसवाल, डॉ. अभय ठाकुर, डॉ. रामसुधार सिंह, प्रसून चटर्जी, अधिवक्ता त्रिपुरारी शंकर, अधिवक्ता अरविन्द कुमार सिंह तथा जगतगंज, राजपरिवार के प्रतिनिधि एवं जेएसआरएफपी के संरक्षक प्रदीप नारायण सिंह आदि ने इसका लोकर्पण किया।

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कार्यक्रम से पूर्व भारत रत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर अतिथियों द्वारा पुष्प अर्पित किया गया। प्रारम्भ में अनुसंधान समिति के संरक्षक प्रदीप नारायण सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि - लगभग पांच वर्ष के अथक परिश्रम से यह शोध पुस्तक (द लास्ट हीरो ऑफ बनारस : बाबू जगत सिंह) प्रकाशित हुई है। यह पुस्तक प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. एच. ए. कुरैशी एवं डॉ. श्रेया पाठक द्वारा रचित है।

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