रत्नेश्वर महादेव मंदिर के शिखर पर सात साल पहले गिरी थी आकाशीय बिजली, पीएम से गुहार के बाद भी नहीं हुई मरम्मत, दरक रहा शिखर
वाराणसी। मणिकर्णिका घाट पर स्थित रत्नेश्वर महादेव मंदिर अपने स्थापत्य की वजह से देश-दुनिया में मशहूर होने के बावजूद उपेक्षा का शिकार है। मंदिर के शिखर पर सात साल पहले आकाशीय बिजली गिरी थी। इससे एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। स्वागत काशी फाउंडेशन ने पिछले दिनों प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर मंदिर के शिखर की मरम्मत कराने की मांग की। ताकि भोलेनाथ की नगरी की इस अमूल्य धरोहर को बचाया जा सके।
मंदिर के टूटे शिखर की मरम्मत के लिए स्वागत काशी फाउंडेशन संस्था काफी दिनों से मांग कर रही है। संस्था के संयोजक अभिषेक शर्मा ने बताया कि 2016 में मंदिर के शिखर पर आकाशीय बिजली गिरी थी। इससे मंदिर के शिखर का एक हिस्सा टूट गया। मरम्मत तो दूर शिखर का टूटा हुआ हिस्सा भी गायब हो गया। शिखर की मरम्मत के लिए कई बार जिम्मेदार अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई, लेकिन इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। संस्था ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मंदिर की मरम्मत कराने की मांग की है। संयोजक ने बताया कि राजा मान सिंह के सेवक ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। इसे मातृ ऋण मंदिर भी कहा जाता है।

पीसा की मीनार की तरह झुका है मंदिर
काशी का रत्नेश्वर महादेव मंदिर इटली स्थित 54 मीटर ऊंची लीविंग टावर आफ पीसा की तरह अपनी नींव से झुका हुआ है। अभिषेक बताते हैं कि मंदिर नींव से लगभग नौ डिग्री झुका हुआ है। इसकी वजह से पर्यटक देखने आते हैं, लेकिन इसके संरक्षण की कवायद नहीं की जा रही।
प्रधानमंत्री मोदी ने किया था ट्वीट
लास्ट टेंपल संस्था ने इस मंदिर की फोटो लगाकर पूछा था कि यह मंदिर कहां है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट कर जवाब दिया कि यह मेरी काशी का रत्नेश्वर महादेव मंदिर है, जो अपने पूर्ण सौंदर्य के साथ विराजमान है। पीएम के ट्वीट के बाद यह मंदिर चर्चा में आया।
घाट के नीचे बना है मंदिर
काशी में मंदिर ऊपर की ओर बने हुए हैं। वहीं रत्नेश्वर महादेव मंदिर घाट के नीचे बना हुआ है। इसके चलते यह मंदिर साल में बारिश के मौसम में गंगा के पानी में डूब जाता है। बाढ़ की स्थिति में गंगा का पानी मंदिर के शिखर तक पहुंच जाता है। मंदिर में ढाई-तीन माह ही पूजा-पाठ हो पाता है।

