चोलापुर में नाद नदी के तट पर श्रीराम कथा का आयोजन, चौथे दिन दशरथ-विश्वामित्र संवाद पर हुई चर्चा
विशाल चौबे, चोलापुर
वाराणसी। चोलापुर क्षेत्र के गोला गांव के नाद नदी के तट पर हनुमान मन्दिर में श्रीरामकथा महोत्सव के चौथे दिन मंगलवार को श्री बालक दास जी महाराज ने अपने भक्तों को बताया कि राजा दशरथ जी श्रीराम को अपने नेत्र से कभी ओझल नही देखना चाहते थे। इधर विश्वामित्र जी भगवान राम को जन कल्याण के लिए बार बार मांग रहे रहे थे। इस पर राजा दशरथ जी ने कहा कि हे मुनि मेरा जमीन, धन, राज्य, आदि सब ले लें पर मेरे राम को हमसे न मांगे। यह मेरे नयन का तारा है।
कथा में आगे वशिष्ठ जी राजा दशरथ जी को समझते हुए कहा कि आप मोह को त्यागे। राम जन कल्याण को तारने के लिये पैदा हुए हैं। उनको इनके कार्य को करने से न रोके। इससे समाज का अहित होगा। दशरथ जी की सहमति के बाद माता ने जरा सा देर नही लगाई क्योकि माता जानती थी कि मेरा लाल ब्रह्म का अवतार है। उन्होंने तुरंत मुनि जी के साथ भेजने को तैयार हो गयी। सबकी अनुमति के बाद मुनि जी के साथ प्रभु राम लक्ष्मण और माता जी के साथ वन को चल दिये। वन में प्रभु राम ने मुनिजी के यज्ञ को राक्षस को मार कर सफल कराया। इसी बीच जंगल मे कोई राम राम कह कर पुकार रहा था। इसी दौरान प्रभु राम ने शिला से यह आवाज सुनी। इस शिला से सम्बंधित मुनि जी ने पूर्व जन्म की घटना को बताया। तुरन्त प्रभु ने शापित शिला हुई माता का उद्धार किया।
आज की कथा में विशिष्ट जनों में शिवशंकर सिंह, विजय कुमार सिंह, विनोद कुमार सिंह, भरत सेठ, ध्रुव सिंह (बाबा), उषा सिंह, लाल जी श्रीवास्तव, केशवलाल श्रीवास्तव, अनिल सेठ, सुरेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह आदि लोगो के साथ साथ सैकड़ों भक्त जन रहे।

