निःशुल्क ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र का व्यापक प्रचार हो-अपर मुख्यसचिव मोनिका एस गर्ग
वाराणसी। संस्कृत विश्वविद्यालय का दायित्व है कि सदैव संस्कृत, संस्कृति एवं संस्कार का भाव जन-जन में जागृति कर इस भाषा को वैश्विक फलक पर स्थापित कराए। इसी ऊद्देश्य की पूर्ति के लिए इस संस्था में निःशुल्क ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण अध्ययन केन्द्र की स्थापना की गई है। यह विचार उत्तर प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग की अपर मुख्य सचिव मोनिका एस गर्ग ने विश्वविद्यालय के ऑनलाइन समीक्षा बैठक में व्यक्त किये।
अपर मुख्यसचिव ने कहा कि संस्कृत और शास्त्रों के अध्ययन के लिए ऑनलाइन केन्द्र स्थापित करने के पीछे मंशा आम लोगों तक इस भाषा को पहुंचाना है। इसके लिए विश्वविद्यालय व्यापक स्तर पर विभिन्न माध्यमों से जुड़कर देश में केंद्र की सार्थकता और महत्व को स्थापित करने के लिए प्रचार-प्रसार करे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के 34 विश्वविद्यालयों एवं आयुर्वेदिक महाविद्यालयों से समन्वय स्थापित कर उन्हें इस केन्द्र से जोड़ने का समुचित मार्ग बनाया जाय। केन्द्र से जुड़कर सामान्य लोगों में संस्कृत के प्रति जुड़ने की लालसा बढ़ेगी तो संस्कृत भाषा को आमजन की भाषा बनने में देर नही लगेगी।
कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत से ही भारत की पहचान विश्व में है। यह भाषा अत्यंत समृद्धिशली है। इससे मानसिक, वाचिक और आंतरिक रूप से मानव शुद्ध होता है। उनके विचारों में सरलता और मानवीय भाव का स्वतः जन्म होता है। उत्तर प्रदेश की कुलाधिपति, मुख्यमंत्री व अपर मुख्य सचिव (उच्च शिक्षा) के विचार व संस्कृत के प्रति लगाव का नतीजा है कि विश्वविद्यालय में 1 करोड़ 16 लाख 50 हजार रुपये की लागत से ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की गई है। विश्वविद्यालय के प्रो. हरिशंकर पांडेय को इस केन्द्र का मुख्य समन्वयक व डॉ. रविशंकर पांडेय को समन्वयक नियुक्त किया किया गया। यहां के विभिन्न विभागों के आचार्यों, सह आचार्याें, सहायक अध्यापकों को समन्वयक और सह समन्वयक नियुक्त किया गया है। साथ ही महाविद्यालयों को भी समन्वयक मंडल से जोड़ा गया है। प्रशिक्षण योजना को व्यापक बनाने के लिए मंडलवार समितियों का भी गठन किया जा रहा है। समितियां संस्कृत महाविद्यालय व आयुर्वेद कालेज के विद्यार्थियों, अध्यापकों को प्रशिक्षण के लिए मूल केन्द्र से जोड़ने के लिए जागरुक करेंगी। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को तैयार करने के लिए उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान व संस्कृत भारती का सहयोग लिया जा रहा है।
कुलपति ने कहा कि सम्पूर्ण पाठ्यक्रम निःशुल्क संचालित होंगे, राष्ट्रीय शिक्षा निति के आलोक में लाखों लोगों को प्रशिक्षित करने की योजना है। साथ ही उन प्रशिक्षुओं को सर्टिफ़िकेट और डिप्लोमा का प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा। इस दौरान कुलसचिव केशलाल, प्रो. हरिशंकर पांडेय, प्रो. रामकिशोर त्रिपाठी, प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी, प्रो. जितेन्द्र कुमार, प्रो. महेंद्र पांडेय, प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. अमित शुक्ल, डॉ. विजय पान्डेय, डॉ. रविशंकर पांडेय, डॉ. राजापाठक, डॉ. मधुसूदन मिश्र, डॉ. कुप्पाविल्वेश शर्मा, डॉ. विजय शर्मा, आदि रहे।

