चेहलुम : दुलहीपुर में उठा दुलदुल का जुलूस, मातमी दस्ते ने किया जंजीर का मातम 

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दुलहीपुर। इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों के चेहलुम के अवसर पर रविवार को क्षेत्र के मिल्कियाना से अलम, ताबूत, दुलदुल और ताजिया का जुलूस उठाया गया। जुलूस क्षेत्र के इमामबाड़ा मोहम्मद इब्राहिम से उठकर अपने कदीमी रास्तो से होता हुआ कर्बला में पहुंचकर समाप्त हुआ। इस दौरान चौकी इंचार्ज मिर्जा रिजवान बेग एक बटालियन पीएसी और मातहतों के साथ मुस्तैद रहे। 

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जुलूस उठने से पहले इमामबाड़े में मजलिस पढ़ते हुए मौलाना मोहम्मद अब्बास ने कर्बला के शहीदों को याद करते हुए कहा कि इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों ने दीन को बचाने के लिए आज से 1444 हिजरी पहले ईराक एक कर्बला शहर में अपनी जान रहे हक और राहे खुदा में कुर्बान कर दी थी। इमाम हुसैन की शहादत के बाद उस वक़्त के दुर्दांत आतंकी यजीद की सेना के कमांडर ने इमाम की मां बेटियों और बीमार बेटे को कैदी बना लिया और जंगलों, पहाड़ियों से पैदल कर्बला से शाम तक लेकर आया। यहाँ उन्हें कैद कर लिया गया जहां इमाम की चार साल की बच्चीं भी कैद की सख्तियां सहते सहते शहीद हो गयीं। 

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यहां से जब इनको आज़ादी मिली तो ये सभी कर्बला में इमाम हुसैन का चेहलुम करने पहुंचे।  ये सुनकर वहां मौजूद लोगों की आंखों से अश्क बहने लगे।  जुलूस उठने पर यासिर हैदर और उनके हमनवा ने 'तुरबते शाह पर जब शाम से आयी ज़ैनब' मर्सिया पढ़ा। इसके बाद अंजुमन सज्जादिया असगरिया ने नौहाख्वानी व मातम किया। जुलूस शिया जामा मस्जिद होते हुए इमामबाड़ा आगा नजफ़ अली साहब में पहुंचा जहाँ हाजी समर हुसैनी ने तकरीर की।  यहाँ से उठकर जुलूस जीटी रोड होता हुआ अपने कदीमी रास्तों से कर्बला दुलहीपुर में जाकर खत्म हुआ। इस दौरान मातमी दस्ते ने ज़ंजीर का मातम भी किया। 

 

इस दौरान अंजुमन के सेक्रेटरी यासिर हैदर जाफरी, इम्तियाज़ हैदर जाफरी, मक़सूद हसन, समर हसन हुसैनी, शौकत हुसैन, राहत हुसैन, वासी रज़ा जाफरी, कासिम जाफरी, फ़ैज़ी जाफरी, समाजसेवी राहिब जाफरी, काशिफ जाफरी, अज़हर हुसैन, शहंशाह हुसैन आदि लोग मौजूद रहे। जुलूस में साथ साथ चल रहे चौकी इंचार्ज मिर्जा रिजवान बेग और उनकी टीम का अंजुमन के सेक्रेटरी यासिर हैदर और समाजसेवी राहिब जाफरी ने धन्यवाद दिया।
 

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