BHU : देवर्षि नारद जयंती पर पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले सात पत्रकारों को नारद प्रतीक चिन्ह व सम्मान पत्र से किया गया सम्मानित
वाराणसी। बीएचयू स्थित विज्ञान संकाय महामना सभागार सगोष्ठी संकुल में पत्रकार देवर्षि नारद जयंती व पत्रकार सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले सात पत्रकारों को मुख्य अतिथि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर-छत्तीसगढ़ के कुलपति प्रो.बलदेव शर्मा ने नारद जी प्रतीक चिन्ह व सम्मान पत्र देकर उन्हें सम्मानित किया।

इस अवसर पर उन्होंने संगोष्ठी को संबोधिक करते हुए कहा कि पत्रकारिता का अर्थ केवल ख़बरों का सम्प्रेषण करना नहीं है, लोककल्याण व समाज का जागरण यह महत्वपूर्ण कार्य है। भारत की जनता ने पत्रकारिता पर विश्वास कर जो सम्मान दिया उसके फलस्वरूप इसे लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा गया। भारत को आत्महीनता का शिकार बनाना, गौरव को क्षीण करना यह जब हो रहा हो तब पत्रकारिता की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, तब नारद हमारे प्रेरणा स्त्रोत के रूप में सामने आते हैं। भारत के मूल्य बोध को जन-जन में जागृत करना यही आत्मनिर्भरता है।

उन्होंने आगे कहा कि पत्रकारिता को मुनाफे का कारोबार नहीं बनाना हैं। इस राष्ट्र में ऐसे भी लोग हुए जिन्होंने पत्नी के गहने बेचकर पत्रकारिता का कार्य किया। प्रयाग में स्वराज पत्रिका के आठ संपादकों को जेल हुई। हर बार पत्रिका में विज्ञापन होता था- "सम्पादक चाहिए, वेतन- दो सूखी रोटी, एक गिलास पानी" पत्रकरिता को भारत की ऋषि परम्परा का वंशज होना चाहिए। पत्रकरिता कबीर की वंशधर्मी है, जिसका कार्य है सोते हुए को जगाना और रोते हुए के आंखो के आंशु पोछना।

प्रभाष जोशी के एक वक्तव्य का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि "पत्रकार की पॉलिटिकल लाइन तो होनी चाहिए पर पार्टी लाइन नहीं। पत्रकरिता में सोशल मीडिया की भूमिका बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान में सोशल मीडिया पत्रकरिता का अनिवार्य अंग है। उसका दुरूपयोग नुकसानदेह है। पत्रकारिता बौद्धिक खेल नहीं है, यह नैतिक उद्यम है।

भारतीय पत्रकारिता के मूल तत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सजगता, निर्भयता, सत्यान्वेषण और मानवीय संवेदना भारत की पत्रकारिता के मूल तत्व हैं। उन्होंने देवर्षि नारद की चर्चा करते हुए कहा कि नारद जी पत्रकार थे यह कहने पर ही विवाद हो जाता था। वास्तव में नारद लोकमंगल के देवता हैं। लोककथाओं में उल्लेखित है कि जनकल्याण के लिए नारद सतत प्रयत्नशील रहते थे।

उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्र और राष्ट्रीयता का एक अध्याय ऋग्वेद में है। बंधुता, स्वतंत्रता, समानता फ़्रांस की क्रांति के मूल भाव बताए जाते हैं पर वेदों में वर्षों पूर्व इनका उल्लेख मिलता है "वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिता" इन तथ्यों को पत्रकरिता के माध्यम से जनमानस में प्रतिष्ठित करना ही आत्मनिर्भरता है| उन्होंने कहा कि इनक्रेडिबल जापान नामक पुस्तक के सम्पादकीय में उल्लेखित है कि दुनिया में जापान केवल आर्थिक तरक्की के बल पर सर्वोच्च राष्ट्र नहीं बना है बल्कि अपने नागरिकों के आत्मनिर्भरता के बल पर यह प्रतिष्ठा अर्जित की है।

पत्रकरिता का धूमिल चरित्र भी अपने सामने है अतः पत्रकरिता को केवल जीविकोपार्जन तक नहीं रखना चाहिए| कोरोना काल में अनेक पत्रकारों ने कोरोना योद्धा बनकर रोग के बचाव एवं चिकित्सा के प्रति जन जागरूकता फैलाई।
कार्यक्रम के प्राम्भ में देवर्षि नारद व भारत माता के चित्र पर पुष्पार्चन कर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित किया गया। इसके बाद माल्यार्पण कर उनका स्वागत किया गया। विषय प्रस्तावना रखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र कार्यवाह डॉ.वीरेन्द्र जायसवाल ने कहा कि आद्य पत्रकार भगवान् नारद ने मोह के सभी कारणों का त्याग किया। जो हितकर है ऐसे समाचार को सही समय पर, सही जगह पर पहुँचाया। यह कार्यक्रम पत्रकारों के सम्मान का नहीं बल्कि उनकी पत्रकारिता का है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय संकाय प्रमुख, सामाजिक विज्ञान संकाय प्रो.अरविन्द जोशी ने कहा कि लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ सामाजिक सरोकारों से सम्बन्धित है। महामना मालवीय जी भी पत्रकार रहें। आत्मनिर्भर भारत की रचना में उनका योगदान स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगा। अतिथि परिचय विश्व संवाद केन्द्र काशी के उपाध्यक्ष डॉ.हेमन्त गुप्त ने कराया।
सम्मान समारोह में पत्रकारिता के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले 7 पत्रकारों में सीनियर सब एडिटर अनिरुद्ध पाण्डेय, छायाकार उत्तम राय चौधरी, वीडियो पत्रकार पुरुषोत्तम चतुर्वेदी, सम्पादक सुनील सिंह, सम्पादक विजयलक्ष्मी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अजय श्रीवास्तव व संवाददाता आशुतोष उपाध्याय को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में सनातन धर्म इंटर कॉलेज के स्काउट गाइड के छात्रों का विशेष सहयोग रहा|
इस दौरान मुख्य रूप से काशी प्रान्त के सामाजिक समरसता प्रमुख नागेन्द्र द्विवेदी, वि.सं.के.काशी के अध्यक्ष प्रो.बिशन किशोर, वि.सं.के.काशी प्रमुख राघवेन्द्र, डॉ अत्रि भारद्वाज, श्याम, डॉ.धर्मेन्द्र सिंह, डॉ.अशोक सोनकर, काशी विभाग प्रचारक कृष्णचंद्र, अमित प्रकाश, रविकांत, नीतिन, आशीष आशु व अन्य लोग उपस्थित रहें।
धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक प्रान्त संयोजक, देवर्षि नारद जयन्ती डॉ.हरेन्द्र राय ने किया। संचालन डॉ.धीरेन्द्र राय ने किया।

