मूड़ादेव ग्राम सभा में स्वस्थ बालक-बालिका स्पर्धा, पाँच वर्ष के सूर्या और चार वर्षीय श्रीति बनी सबसे स्वस्थ बालक – बालिका

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वाराणसी। पोषण माह के अंतर्गत काशी विद्यापीठ ब्लॉक के मूड़ादेव ग्राम सभा में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र पर 'स्वस्थ बालक-बालिका स्पर्धा' का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य वृद्धि निगरानी अभियान के तहत बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाना और उनके स्वास्थ्य के प्रति समुदाय को जागरूक करना था। इस स्पर्धा में छह वर्ष तक के 25 से अधिक बच्चों ने भाग लिया, जिनमें से दो बच्चों को सबसे सेहतमंद पाया गया और उन्हें स्वस्थ बालक-बालिका के रूप में सम्मानित किया गया।

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आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा देवी और सहायिका ने सभी बच्चों की लंबाई, ऊंचाई, और वजन का मापन किया। जिन बच्चों का वजन उनकी लंबाई और आयु के अनुसार सामान्य पाया गया, उन्हें विशेष रूप से चिन्हित किया गया। एमसीपी कार्ड की भी जांच की गई, जिसमें यह देखा गया कि माता-पिता ने बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए सभी आवश्यक नियमों का पालन किया है, जैसे कि समय पर टीकाकरण, स्वच्छता का ध्यान रखना, और नियमित रूप से पोषाहार देना। 

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इस आयोजन में पाँच वर्ष के सूर्या और चार वर्ष की श्रीति को स्वस्थ बालक-बालिका के रूप में चुना गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि इस स्पर्धा का मुख्य उद्देश्य 0 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाना और समुदाय के बीच स्वास्थ्य एवं पोषण के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने सभी अभिभावकों को पोषण, स्वास्थ्य, और शिक्षा के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि बच्चों को छह माह तक केवल स्तनपान कराना और उसके बाद स्तनपान के साथ उपरी आहार देना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, समय पर टीकाकरण कराने और आयु के अनुसार पोषक आहार देने की सलाह दी गई।

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सूर्या की माता, रेनू, ने बताया कि वह आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता द्वारा दी गई सभी सलाहों का पालन करती हैं, समय पर टीकाकरण कराती हैं और स्वच्छता का पूरा ध्यान रखती हैं। श्रीति की माता, ममता, ने भी कहा कि वह अपनी बेटी की सेहत और पोषण का पूरा ध्यान रखती हैं, और उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र से नियमित रूप से जानकारी और सहयोग मिलता है।

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स्पर्धा में बच्चों को अंक देने के मानदंड भी तय किए गए थे। मासिक वृद्धि निगरानी के लिए पांच अंक, व्यक्तिगत स्वच्छता के लिए 10 अंक, पोषण श्रेणी के लिए 10 अंक, आहार की स्थिति के लिए 10 अंक, टीकाकरण के लिए 10 अंक, और पेट के कीड़े निकालने के लिए पांच अंक निर्धारित किए गए थे। कुल 50 अंकों के आधार पर स्वस्थ बालक-बालिका का चयन किया गया।

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