दस वर्ष पुरानी उमंग फार्मेसी से बीएचयू ने तोड़ा नाता, नियम व शर्तों का किया था उल्लंघन

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वाराणसी। बीएचयू सर सुंदरलाल अस्पताल परिसर स्थित उमंग फार्मेसी से बीएचयू ने अपना दस वर्ष पुराना नाता तोड़ लिया है। सर सुंदरलाल अस्पताल में दवा कंपनी का एग्रीमेंट (मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग) समाप्त हो चुका है। इसके लिए हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने कंपनी को नोटिस जारी करते हुए एक महीने के भीतर कैंपस खाली करने को कहा है। 

बीएचयू मैनेजमेंट के ओर से कहा गया है कि नई कंपनी निर्धारित दरों पर मरीजों को दवाओं की बिक्री करेगी। इसके लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। टेंडर के डॉक्यूमेंट अपलोड हो चुके हैं। इस मामले में बताया जा रहा है कि फर्म के संचालक 10 वर्ष पुराने नियमों व शर्तों के आधार पर काम करना चाहते थे। जबकि इस मामले में बीएचयू का कहना है कि उन्हें वर्तमान परिवेश के आधार पर एग्रीमेंट करना होगा। इस पर सहमति न बनने के कारण प्रबंधन ने कंपनी से अनुबंध निरस्तीकरण की स्वीकृति दे दी है।

बता दें कि वर्ष 2013 में उमंग फार्मेसी को सर सुंदरलाल अस्पताल परिसर में दवा की दुकान के लिए 4400 वर्ग फोट क्षेत्रफल आवंटित हुआ था। इस दौरान तीन दुकानें स्थापित की गई, इसमें एक पुरानी इमरजेंसी के बगल में, दूसरी पुराना आइसीयू और तीसरी दुकान हनुमान मंदिर के सामने संचालित की जाने लगी। इन दुकानों के एवज में बीएचयू को किराये के रूप में प्रति वर्ष आठ करोड़ से अधिक राजस्व मिलता है। 

उमंग के पहले तीन अन्य फमों ने दवा आपूर्ति का जिम्मा उठाया था, लेकिन वह कुछ महीने ही सुविधा दे सकीं। उन्होंने काम छोड़ दिया था। अस्पताल परिसर में दवा की दुकानें स्थापित करने का उद्देश्य था कि मरीजों और उनके तीमारदारों को दवा खरीदने के लिए बाहर नहीं जाना पड़े। कैंपस के अंदर ही उन्हें बीएचयू द्वारा निर्धारित रेट पर दवा उपलब्ध हो जाए। चूंकि डाक्टर ज्यादातर दवाएं बाहर की दुकानों की लिखते हैं, इसलिए, यह मंशा सौ फीसदी प्रभावी नहीं हो सकी। दवा माफिया के चंगुल में मरीज आए दिन फंसते हैं, वह महंगे रेट पर दवाएं खरीदते हैं।

बीएचयू अस्पताल में प्रतिदिन दस हजार से ज्यादा मरीज

बीएचयू अस्पताल में प्रतिदिन आठ हजार मरीज ओपीडी में आते हैं। इसके अलावा इमरजेंसी, आइसीयू और दूसरे वार्डों में 2600 से अधिक बेड पर मरीज भर्ती होते है। यहां अधिकतर मरीज पूर्वांचल और बिहार से गरीब और मध्यम परिवार के लोग आते हैं, जिन्हें सस्ती दवाओं की आवश्यकता होती है। 

मनोपोली कंपनियों और फार्मेसी की मिलीभगत

अस्पताल सूत्रों की मानें तो, परिसर में उमंग फार्मेसी के अलावा अमृत और जनऔषधि केंद्र का एक-एक काउंटर है, लेकिन अधिकांश दवाएं नहीं मिल पाती हैं। इसका कारण मनोपोली कंपनियों की दवाओं का डॉक्टरों द्वारा ज्यादा लिखा जाना है। ऐसे में मरीजों की बाहरी दुकानों पर निर्भरता रहती है। अगर यहां और सस्ते काउंटर खोल दिए जाए तो मरीजों और तीमारदारों को दवा के लिए भटकना नहीं पड़े। साथ ही उन्हें सस्ते रेट पर दवाइयां उपलब्ध हो सकें। 

क्या बोले चिकित्सा अधीक्षक

सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो० कैलाश कुमार ने बताया कि उमंग फार्मेसी ने ट्रामा सेंटर में दो दुकानें संचालित की हैं। इसके लिए उन्होंने नई सेवा शतों के आधार पर अनुबंध किया है। ऐसे में सर सुंदरलाल अस्पताल परिसर के लिए पुरानी सेवा शतों के आधार पर दुकान सवालन संभव नहीं होगा। यह सहमत नहीं थे, इसलिए अनुबंध निरस्तीकरण की कार्रवाई की गई है। अब नई कपनी वर्तमान परिवेश के हिसाब से दवा की आपूर्ति करेगी, इससे बीएचयू को अधिक राजस्व प्राप्त होगा।

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