10 वां रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार 2024 दिया जाएगा वाराणसी के तापस शुक्ल को
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ‘हिंदी विभाग’ के शोध छात्र रहे युवा कवि डॉ. रविशंकर उपाध्याय की स्मृति में प्रति वर्ष दिया जाने वाला 'रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार :2024, वाराणसी के रहने वाले युवा कवि तापस शुक्ल को दिया जायेगा। तापस शुक्ल का जन्म 23 दिसंबर, 2000 को वाराणसी के एक सम्पन्न साहित्यिक परिवार में हुआ है। वह वर्तमान में वाराणसी काशी विद्यापीठ से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर के छात्र हैं।
यह जानकारी देते हुए संस्था के अध्यक्ष प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल व सचिव डॉ. वंशीधर उपाध्याय ने संयुक्त विज्ञप्ति में बताया कि पिछले बारह वर्षों से तापस अपने रंगसमूह 'रूपवाणी' के साथ देश-भर में राम की शक्तिपूजा, कामायनी, रश्मिरथी, पंचरात्रम, चित्रकूट, बांसिन कन्या और मैकबेथ का मंचन करते आ रहे हैं। उन्होंने महान तबलावादक पंडित किशन महाराज के यशस्वी पुत्र पंडित पूरन महाराज से तबले की तालीम ली है। साथ ही पद्मश्री शशधर आचार्य से छऊ नृत्य का प्रशिक्षण एवं पंडित रविशंकर से कथक नृत्य की बारीकियां सीखी हैं। उनकी कविताएं समय–समय पर हिंदी की महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। उनकी काव्य रुचि और रचनात्मकता को ध्यान में रखते हुए इस समिति के निर्णायक मण्डल ने उन्हें इस वर्ष के पुरस्कार के लिए चुना है।
इस पुरस्कार का निर्णय चर्चित कथाकार अखिलेश(लखनऊ), प्रसिद्ध कवि अरुण कमल (पटना), प्रतिष्ठित आलोचक अरुण (कोलकाता), महत्वपूर्ण कवि मदन कश्यप (दिल्ली) और प्रसिद्ध कवि राजेश जोशी (भोपाल) की समिति ने सर्वसम्मति से किया है। यह पुरस्कार 12 जनवरी 2024 को रविशंकर उपाध्याय के जन्मदिन पर आयोजित एक कार्यक्रम में दिया जायेगा।
निर्णायक मंडल के सदस्य के रूप में तापस शुक्ल के नाम की अनुशंसा करते हुए प्रसिद्ध कथाकार अखिलेश ने लिखा है- "तापस की कविताएं हमें कई स्तरों पर प्रभावित करती हैं। तापस समकालीन कविता के प्रचलित और लगभग रूढ़ि बन चुके चलन को दरकिनार करते हैं और अपने लिए मुश्किल रास्तों का निर्माण करते हैं। वे अक्सर भिन्न- भिन्न, कई बार तो विरोधी लगते बिम्बों के मध्य ऐसी अनूठी अन्विति रचते हैं कि अर्थ की एकाधिक गिरहें खुलती हैं। नवाचार तापस को न केवल कविता की गहराइयों में उतारता है, बल्कि अपने वक्त की गहमागहमी में भी। वक्त की आंच तापस की कविता में पूरी जगह घेरती है, लेकिन काव्य मुहावरे में ढलकर।”
ध्यातव्य है कि प्रतिभाशाली युवा कवि डॉ. रविशंकर उपाध्याय का 19 मई 2014 को बी.एच.यू. के अस्पताल में तीस वर्ष की अवस्था में ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया था। वे छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय थे और बी. एच. यू. में 'युवा कवि संगम' जैसे आयोजन के संस्थापकों में थे। उनका पहला कविता संग्रह "उम्मीद अब भी बाकी है" नाम से उनकी मृत्यु के बाद वर्ष 2015 में प्रकाशित हुआ था। उनकी स्मृति में पहला पुरस्कार वर्ष 2015 में रांची की युवा कवयित्री जसिंता केरकेट्टा को, दूसरा पुरस्कार वर्ष 2016 में बलिया के अमृत सागर को, तीसरा पुरस्कार वर्ष 2017 में दिल्ली के निखिल आनंद गिरि को, चौथा पुरस्कार वर्ष 2018 में बलिया के अदनान कफ़ील दरवेश को, पांचवा पुरस्कार वर्ष 2019 में सीतापुर के शैलेन्द्र कुमार शुक्ल को, छठा पुरस्कार वर्ष 2020 में संदीप तिवारी को ,सातवां पुरस्कार वर्ष 2021 में दिल्ली के गौरव भारती को, आठवां पुरस्कार वर्ष 2022 में चंदौली के गोलेंद्र पटेल को तथा नौवां पुरस्कार 2023 मध्यप्रदेश के अरबाज़ ख़ान को दिया जा चुका है। तापस शुक्ल को मिलने वाला यह 10वां पुरस्कार है।
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