बनारस के इन मंदिरों में नहीं घूमे होंगे आप, आज ही करें जाने का प्लान
भारत की धार्मिक राजधानी वाराणसी के मंदिरों की यात्रा के बिना भारत की यात्रा अधूरी है। दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक वाराणसी शहर सदियों से भारतीय संस्कृति का केंद्र बना हुआ है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी को काशी और बनारस नाम से भी जाना जाता है। वाराणसी शहर घूमने के लिए लोग दुनिया के हर कोने से आते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन के समय भी यह एनी बेसेंट के थियोसोफिकल सोसायटी का केंद्र था। इसी दौरान बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना भी मदन मोहन मालवीय के द्वारा की गई। बनारस घूमने आने वाले लोगों को यहां पर देवी शक्तियां महसूस होती है। अगर आप धार्मिक स्थान के दर्शन करना चाहते हैं और घूमने की शौकीन है तो आपको बनारस घूमने जाने का प्लान करना चाहिए। हम आपको उन मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां आकर आपको बहुत सुकून मिलेगा और इन मंदिरों के बारे में आपने शायद ही सुना होगा।
भारत माता मंदिर, वाराणसी
भारत माता मंदिर संगमरमर से बना हुआ अनोखा मंदिर है। सन् 1936 में महात्मा गांधी ने इस मंदिर का उद्घाटन किया। यह मंदिर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के काल विभाग में बना हुआ है। संगमरमर को काटकर भारत का मानचित्र बनाया गया है।
मृत्युंजय महादेव मंदिर, वाराणसी
यह मंदिर भगवान काल भैरव मंदिर की नजदीक ही स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर के पानी का प्रयोग करने से शरीर में होने वाले सभी रोग दूर हो जाते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर के परिसर में जो पानी है वह भूमिगत धाराओं से मिलकर बना है। इसलिए यहां के पानी से जुड़ी बहुत सारी मान्यताएं हैं, जिसमें यहां के लोग विश्वास रखते हैं।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी
वाराणसी का यह मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। यहां भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग स्थापित है। इस मंदिर को देखने के लिए हर रोज हजारों के भीड़ में लोग वाराणसी पहुंचते हैं। इसे स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि मंदिर का ऊपरी हिस्सा सोने का मढ़ा हुआ है। इसे पूरे देश में बहुत महत्वपूर्ण मंदिर माना जाता है। कहते हैं सिर्फ शिवलिंग के दर्शन करते ही लोगों की आत्मा शुद्ध हो जाती है।
संकट मोचन हनुमान मंदिर, वाराणसी
संकट मोचन हनुमान मंदिर भगवान राम और हनुमान जी को समर्पित है। यह अस्सी नदी के किनारे स्थित है। इस मंदिर को भी मदन मोहन मालवीय के मदद से बनवाया गया था। इस मंदिर की बहुत मान्यता है। बनारस आने वाले लोग संकट मोचन मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं। मंदिर के परिसर में बहुत सारे बंदर मौजूद है, जिसे आपको सावधान रहना चाहिए।
दुर्गा मंदिर (दुर्गा कुंड), वाराणसी
यह वाराणसी का बहुत प्राचीन मंदिर है। मां दुर्गा को समर्पित यह मंदिर लाल रंग का है। पत्थरों के सुंदर कार्यकारी के लिए यह मंदिर प्रसिद्ध है। इस मंदिर में मां कुष्मांडा की मूर्ति विद्यमान है। यहां एक तालाब है जिसे दुर्गा कुंड नाम से जाना जाता है।
काल भैरव मंदिर, वाराणसी
बनारस आने वाले हर व्यक्ति को काल भैरव मंदिर के दर्शन जरूर करना चाहिए। यह मंदिर बहुत ही भव्य और पुराना है। भगवान काल भैरव को काशी के कोतवाल के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि उनकी मर्जी के बिना कोई भी व्यक्ति वाराणसी में एक दिन भी नहीं रह सकता है।
तुलसी मानस मंदिर, वाराणसी
तुलसी मानस मंदिर दुर्गा मंदिर के नजदीक ही भगवान राम को समर्पित एक मंदिर है। कहा जाता है कि यह मंदिर उसी स्थान पर बना हुआ है, जहां पर मध्यकालीन कवि तुलसीदास रहते थे। मान्यता है कि तुलसीदास ने यहीं पर रामचरितमानस लिखी थी इसीलिए इस मंदिर का नाम तुलसी मानस मंदिर है।
मां अन्नपूर्णा मंदिर, वाराणसी
काशी की गलियों में काशी विश्वनाथ मंदिर के नजदीक ही मां अन्नपूर्णा देवी का मंदिर स्थित है। मां अन्नपूर्णा को अन्न की देवी माना जाता है। इस मंदिर में मां को 56 प्रकार के भोग बनाकर चढ़ाया जाता है। यहां भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। बनारस घूमने जाने वाले लोग यहां दर्शन करने जरूर जाएं।
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