विश्व साइकिल दिवस आज, जानिए क्यों और कैसे हुई इस दिन की शुरुआत, क्या है इसका इतिहास

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पूरे विश्व में हर साल 3 जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। विश्व साइकिल दिवस मनाने के पीछे कई उद्देश्य और फायदे हैं। साइकिल हमारे पर्यावरण के लिए फायदेमंद हैं तो वहीं साइकिल चलाना सेहत के लिए भी लाभकारी है। ऐसे में साइकिल का हमारे जीवन में अहम स्थान है। साइकिल चलाने के फायदे कई हैं। इसे न सिर्फ खरीदना आसान है, यह आपको फिट रखती है और वातावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचाती। यही वजह है कि अप्रैल 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 जून को विश्व साइकिल दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। विश्व साइकिल दिवस साइकिल को मानव प्रगति, उन्नति, स्थिरता, सामाजिक समावेश और शांति की संस्कृति के प्रतीक के रूप में मनाता है।

साइकिल का इस्तेमाल करने से डीजल-पेट्रोल का दोहन कम होने के साथ ही शहर का प्रदूषण स्तर भी कम होता है। वहीं स्वस्थ रखने के लिए भी साइकिल का उपयोग किया जाता है। साइकिल चलाने से वजन कम करने से लेकर मांसपेशियों को मजबूती, अच्छा व्यायाम आदि हो जाता है। इसी तरह के कई फायदों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व साइकिल दिवस मनाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि साइकिल दिवस मनाने की शुरुआत कब और कैसे हुई? पहली बार साइकिल दिवस कब मनाया गया और कहां मनाया गया? चलिए जानते हैं विश्व साइकिल दिवस के इतिहास के बारे में।

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विश्व साइकिल दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई ?

साइकिल दिवस को मनाने की शुरुआत साल 2018 में हुई। अप्रैल 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने विश्व साइकिल दिवस मनाने का फैसला लिया। इसके लिए 3 जून का दिन तय किया गया। तब से अब तक भारत समेत कई देश विश्व साइकिल दिवस हर साल 3 जून को मनाते हैं।

साइकिल का इतिहास 

यूरोपीय देशों में साइकिल के इस्तेमाल का विचार 18वीं शताब्दी के दौरान लोगों को आया था लेकिन 1816 में पेरिस में पहली बार एक कारीगर ने साइकिल का आविष्कार किया, उस समय इसका नाम हाॅबी हाॅर्स यानी काठ का घोड़ा कहा जाता था। बाद में 1865 में पैर से पैडल घुमाने वाले पहिए का आविष्कार किया। इसे वेलाॅसिपीड कहा जाता था। इसे चलाने से बहुत ज्यादा थकावट होने के कारण इसे हाड़तोड़ कहा जाने लगा। साल 1872 में इसे सुंदर रूप दिया गया। लोहे की पतली पट्टी के पहिए लगाए गए। इसे आधुनिक साइकिल कहा गया। आज साइकिल का यही रूप उपलब्ध है।

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