खत्म होगा अंग्रेजों के जमाने का एक और कानून : डिजिटल समाचार पोर्टलों को मान्यता देने की तैयारी में सरकार, मानसून सत्र में संसद में लाया जा सकता है विधेयक
नई दिल्ली। केंद्र सरकार जल्द ही प्रेस एंड पीरियॉडिकल बिल 2019 को संसद में लाने की तैयारी कर रही है। ईकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सरकार डिजिटल समाचार मीडिया उद्योग को विनियमित करने के लिए प्रेस एंड पीरियॉडिकल बिल को लाने की तैयारी में जुटी हुई है। इसके साथ ही अंग्रेजों के जमाने में बना प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम-1867 को खत्म कर दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार सरकार इस बिल को इसी मानसून सत्र में संसद के पटल पर ला सकती है। 18 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र के 12 अगस्त तक चलने की उम्मीद है।
विधेयक में डिजिटल समाचार पोर्टलों को समाचार पत्रों के बराबर लाने का प्रस्ताव है और उन्हें प्रेस रजिस्ट्रार जनरल के साथ अपनी इकाई को पंजीकृत करने के लिए कहा जाएगा, जो भारत में समाचार पत्रों के प्रचलित रजिस्ट्रार के समकक्ष है। फिलहाल डिजिटल न्यूज प्लेटफॉर्म के लिए ऐसा कोई रजिस्ट्रेशन नहीं किया जाता है।
अपनी 2019 की योजना को पुनर्जीवित करते हुए, केंद्र अंततः मंत्रिमंडल के समक्ष समाचार पत्रों के लिए एक नई पंजीकरण व्यवस्था के लिए प्रस्तावित विधेयक को रखने के लिए तैयार है, जिसमें भारत का बढ़ता डिजिटल समाचार मीडिया उद्योग भी शामिल होगा, जो अब तक सरकारी पंजीकरण ढांचे से बाहर रहा है।
प्रस्तावित कानून - प्रेस और पत्रिकाओं का पंजीकरण विधेयक 2019, औपनिवेशिक युग के प्रेस और पुस्तक रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1867 की जगह लेगा, जो वर्तमान में भारत में मुद्रित प्रिंटिंग प्रेस और समाचार पत्रों को नियंत्रित करता है।
2019 में, केंद्र ने प्रेस और पीरियॉडिकल बिल के पंजीकरण का मसौदा तैयार किया था, जिसमें "डिजिटल मीडिया पर समाचार" को "डिजिटल प्रारूप में समाचार" के रूप में परिभाषित किया गया था, जिसे इंटरनेट, कंप्यूटर या मोबाइल नेटवर्क पर प्रसारित किया जा सकता है और इसमें टेक्स्ट, ऑडियो, वीडियो और ग्राफिक्स शामिल हैं। केंद्र के मसौदे बिल ने तब बहस छेड़ दी थी जब कई लोगों ने आरोप लगाया था कि यह डिजिटल समाचार मीडिया को 'नियंत्रित' करने का एक प्रयास है।
इसके बाद केंद्र सरकार मसौदा विधेयक पर आगे नहीं बढ सकी, लेकिन ईकोनॉमिक टाइम्स के सूत्रों के अनुसार सभी अंतर-मंत्रालयी और अन्य हितधारक के परामर्श अब पूरे हो चुके हैं और कानून को मंजूरी के लिए कैबिनेट की ओर अग्रसर किया जा रहा है, ताकि इसे जल्द से जल्द संसद में ले जाया जा सके।
यह विधेयक पुस्तकों के पंजीकरण और उससे जुड़े मामलों से संबंधित मौजूदा प्रावधानों को भी हटा देगा, जिससे पुस्तक प्रकाशन उद्योग काफी हद तक मुक्त हो जाएगा। मसौदे में पंजीकरण को और सरल बनाने का प्रस्ताव है।
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