Chhath puja 2023 : नहाय-खाय के साथ कल से शुरू होगा लोक आस्था का महापर्व डाला छठ, महिलाएं 36 घंटे कठिन व्रत रहकर करेंगी सूर्योपासना 

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वाराणसी। महादेव की नगरी में सूर्योपासना का पर छठ पूजा बड़े ही आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है। शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ डाला छठ की शुरूआत होगी। इसको लेकर तैयारियां प्रारंभ हो गई हैं। घाटों पर छठ पूजा के लिए स्थान छेंकने का कार्य प्रारंभ हो गया है। वहीं पर्व को देखते हुए प्रशासन भी अलर्ट मूड में है। 

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छठी मइयां और भगवान भास्कर की आराधना के लिए लोगों ने गुरुवार से ही घाट को छेंकना शुरू कर दिया। वाराणसी के अस्सी घाट पर लोग जगह जगह बेदी बनाते दिखाई दिए। ताकि वहां फल, फूल आदि सामग्री को रखकर पूजन कर सकें। छठ पर्व में चार दिनों तक छठी माता और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। छठ पूजा का व्रत काफी कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। छठ में व्रती महिलाएं 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। वे पारण के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर ही भोजन करती हैं। छठ पूजा का व्रत खरना के दिन से शुरू हो जाता है, इसलिए व्रती महिलाओं के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण होता है। छठ के दौरान छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है। अस्सी घाट के तीर्थ पुरोहित बलराम मिश्रा ने बताया कि छठ पूजा का महत्वछठ पर्व को महापर्व कहा जाता है। क्योंकि इस पर्व को आस्था और श्रद्धापूर्वक किया जाता है। यही कारण है कि आज देश से लेकर विदेशों में भी छठ पूजा मनाई जाती है। छठ पर्व में साफ-सफाई के नियमों का विशेष पालन करन होता है। छठ व्रत करने से घर पर सुख-शांति आती है। इस व्रत से संतान और सुहाग की आयु लंबी होती है।

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कब से शुरू हो रहा है छठ पूजा 
छठ पूजा का पहला दिन- नहाय-खाय- शुक्रवार, 17 नवंबर 
छठ पूजा का दूसरा दिन- खरना- शनिवार, 18 नवंबर 
छठ पूजा का तीसरा दिन- संध्या कालीन अर्घ्य- रविवार, 19 नवंबर 
छठ पूजा का चौथा दिन- सुबह का अर्घ्य- सोमवार,  20 नवंबर 

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आइए अब जानते हैं 4 दिनों में किस तरह से होता है पूजा पाठ 
पहला दिन: छठ व्रत की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को छठ पर्व के पहले दिन नहाय खाय किया जाता है। पहले घर की साफ सफाई कर ली जाती है और नहाय-खाय के दिन अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनाया जाता है। यही से छठ पर्व की शुरुआत होती है। 

दूसरा दिन: छठ पर्व के दूसरे दिन को खरना के रूप में जाना जाता है। इसी दिन से 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है। महिलाएं भगवान भास्कर की आराधना करने लगती हैं। शाम के समय अरवा चावल, दूध, गुड़, खीर इत्यादि का प्रसाद बनता है तथा भगवान भास्कर को चढ़ाने के बाद व्रती अल्प प्रसाद ग्रहण करती हैं। 

तीसरा दिन: छठ पर्व का तीसरा दिन सबसे कठिन होता है। इस दिन छठ व्रतियों के निर्जला उपवास का दूसरा दिन प्रारंभ हो जाता है और इसी दिन छठ व्रती के द्वारा पूजा के दौरान इस्तेमाल में लाया जाने वाला ठेकुआ सहित अन्य प्रसाद भी बनाया जाता है। इसी दिन शाम के समय लोग छठ घाट जाते हैं और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। 

चौथा दिन: छठ पर्व का चौथा दिन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष सप्तमी तिथि को होता है। इस दिन अहले सुबह भगवान भास्कर के उदीयमान स्वरूप को अर्घ्य दिया जाता है। सुबह के वक्त भी लोग छठ घाट पहुंचते हैं और उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं।

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