रामलला के विग्रह की तस्वीर बनाने वाले प्रोफेसर को युवा कांग्रेस ने किया सम्मानित, कहा – काशी में प्रतिभाओं की नहीं है कमी
विकास सिंह ने कहा कि काशी के प्रतिभा को विश्व पटल पर बड़ा सम्मान दिलाने का काम महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के प्रोफेसर डा. सुनील कुमार विश्वकर्मा ने किया है। उनके इस योगदान की जितनी सराहना की जाए, वह कम है। उन्होंने कहा की काशी में प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस जरूरत है उनकी प्रतिभाओं को पहचानने और उसे आगे बढ़ाने की।
बता दें कि अयोध्या में प्रभु श्रीराम के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा काशी के वेदमूर्तियों ने की तो इस विग्रह के स्वरूप की कल्पना भी काशी के ही एक कलाकार ने की है। इस कलाकार के बनाए चित्र को ही मूर्तिकारों ने विग्रह रूप दिया। जिसके बाद कर्नाटक के अरुण योगीराज की बनाई प्रतिमा को चुना गया। यह कलाकार काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा हैं। विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद डॉ. विश्वकर्मा ने अपने बनाए चित्र और इसकी कहानी साझा की।
डॉ. विश्वकर्मा ने बताया कि फरवरी-2023 से इसकी तैयारियां शुरू हुई थीं। देशभर के 82 नामी गिरामी चित्रकारों से पांच वर्ष के रामलला का चित्र मांगा गया था। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की तरफ से इनमें से अंतिम तीन चित्रों का चुनाव किया गया। डॉ. सुनील कुमार विश्वकर्मा के बनाए स्केच के अलावा महाराष्ट्र और पुणे के दो अन्य वरिष्ठ कलाकारों के स्केच शामिल थे। डॉ. विश्वकर्मा ने बताया कि 15 से 20 अप्रैल के बीच उन्हें अन्य दोनों कलाकारों के साथ नई दिल्ली बुलाया गया। जहां डॉ. विश्वकर्मा के चित्र को चुना गया।
सम्मानित करने वालों में प्रमुख रूप से सभासद प्रिंस राय, युवा कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष विश्वनाथ कुंवर, पूर्व जिला अध्यक्ष युवा कांग्रेस विजय उपाध्याय, रोहनिया विधानसभा अध्यक्ष आशुतोष सिंह, पूर्व छात्र संघ महामंत्री दिलीप कुमार, पूर्व उपाध्यक्ष छात्र संघ संदीप पाल, कवि चौहान, राजकुमार मिश्रा, कुंवर यादव आदि उपस्थित रहे।
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