अटल बिहारी वाजपेयी के सपने को साकार करने जा रहे योगी आदित्यनाथ

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  • विज्ञान पथ के जरिए लखनऊ को ग्लोबल सिटी बनाने की तैयारी
  • शहीद और किसान पथ के बाद अब लखनऊ को मिल सकती है विज्ञान पथ की सौगात
  • 250 किलोमीटर के विज्ञान पथ से जुड़ेंगे लखनऊ और आसपास के सभी जिले
  • 20 नोड के जरिए विकसित किये जा सकते हैं कई औद्योगिक पार्क, शिक्षण संस्थाएं और अन्य सुविधाएं
  • वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा विज्ञान पथ

लखनऊ। 2024 का शुभारंभ हो चुका है। बीते वर्ष प्रदेश के इन्फ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी सहित विभिन्न क्षेत्रों में नये कीर्तिमान स्थापित करने के बाद इस साल योगी सरकार प्रदेश की विकास यात्रा में नये और बड़े माइलस्टोन स्थापित कर सकती है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार देश के पूर्व प्रधानमंत्री और लखनऊ के पूर्व सांसद भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के कथन 'जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान' के मंत्र को आधार मानकर लखनऊ को ग्लोबल सिटी के तौर पर डेवलप करने की तैयारी में है। जवानों को समर्पित शहीद पथ और अन्नदाताओं को समर्पित किसान पथ के बाद अब लखनऊ के लिए विज्ञान पथ की परिकल्पना की जा रही है। 6 लेन विज्ञान पथ के जरिए प्रदेश की राजधानी को इसके उत्तर में हरदोई और सीतापुर, पूर्व में बाराबंकी, दक्षिण में रायबरेली और पश्चिम में उन्नाव जिले से जोड़ते हुए विकास को रफ्तार देने का प्रस्ताव है। 

लगभग 250 किलोमीटर का आउटर सर्किल होगा विज्ञान पथ 
बता दें कि चिनहट से कानपुर रोड तक एक आर्क के रूप में शहीद पथ 23 किलोमीटर, जबकि आउटर रिंग रोड किसान पथ 104 किमी के घेरे में है। वहीं परिकल्पित विज्ञान पथ की लंबाई ढाई सौ किलोमीटर की होगी। किसान पथ से लेकर विज्ञान पथ के बीच में 20 इंटरलॉकिंग रोड का निर्माण कराके इनके बीच 20 अलग अलग नोड के निर्माण की परिकल्पना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत हैं। विज्ञान पथ की परिकल्पना भी मुख्य रूप से प्रदेश की राजधानी और उसके आसपास के जिलों को जोड़कर राज्य राजधानी परिक्षेत्र (एससीआर) के तहत विकसित करने के उद्देश्य से की जा रही है। इसके तहत लखनऊ और आसपास के जिलों को इंडस्ट्रिलयल हब के रूप में सुनियोजित विकास मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। वहीं सनराइज क्षेत्रों से संबंधित उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के रोडमैप को भी व्यवहारिक रूप प्रदान कर पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को गति देने का प्रयास होगा। 

किसान और विज्ञान पथ के बीच विकसित होंगे 20 नोड 
फिलहाल ये परिकल्पना योगी सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना और मुख्यमंत्री के प्रशासनिक सलाहकार अवनीश अवस्थी के सामने प्रस्तुत की जा चुकी है। जाने माने लेखक और राजनीतिक विश्लेषक डॉ शीलवंत सिंह ने विज्ञान पथ की परिकल्पना को हाल ही में प्रकाशित अपनी पुस्तक 'योगी सरकार - वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी' में विस्तार से परिभाषित भी किया है। माना जा रहा है कि योगी सरकार जल्द ही इस परिकल्पना को मूर्तरूप देने के लिए अहम कदम उठा सकती है। इस परिकल्पना के अंतर्गत किसान पथ और प्रस्तावित विज्ञान पथ के के मध्य के क्षेत्र को अलग अलग 20 हिस्सों में विभाजित किया जाएगा। यहां वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखते हुए सामाजिक, आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले क्षेत्र वर्गाकार हब के रूप में विकसित किये जाएंगे। 

इन 20 नोड को डेवलप करने का है प्रस्ताव 
किसान पथ और परिकल्पित विज्ञान पथ के बीच जिन 20 नोड को डेवलप करने का प्रस्ताव है उनमें कृषि आधारित उद्योग एवं खाद्य प्रसंस्करण उत्पाद तथा कृषि उपकरण उत्पाद केंद्र की स्थापना, विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं और चिकित्सीय उपकरण उद्योग की स्थापना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित उत्पाद उद्योग हब की स्थापना, लखनऊ के लघु कुटीर एवं हस्तशिल्प उत्पाद उद्योग तथा व्यापार विपणन केंद्र की स्थापना, इलेक्ट्रॉनिक एवं उपकरण निर्माण उद्योग केंद्र की स्थापना, एडवांस केमिस्ट्री सेल, सोलर बैटरी एवं सोलर पैनल केंद्र की स्थापना, आईटी सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क की स्थापना, विश्वस्तरीय शैक्षणिक संस्थान एवं प्रशिक्षण अनुसंधान केंद्र की स्थापना, जीआई टैग उत्पाद और उनके विपणन, प्रबंधन व संवर्धन केंद्र की स्थापना, ओडीओपी और उनके विपणन, प्रबंधन व संवर्धन केंद्र की स्थापना, व्हाइट गुड्स (टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, एलईडी बल्ब और कंप्यूटर) निर्माण केंद्र की स्थापना, विश्वस्तरीय पर्यावरण अनुकूल आवासीय परिसर की स्थापना, पर्यावरण अनुकूल विश्वस्तरीय कॉरपोरेट कार्यालयी परिसरों की स्थापना, प्रदेश की प्रशासनिक, कानूनी, नागरिक एवं राजनीतिक व्यवस्था के लिए आधुनिक केंद्रों की स्थापना, विज्ञान एवं तकनीकी विकास, संवर्धन, प्रबंधन, प्रशिक्षण अनुसंधान और विकास केंद्रों की स्थापना, ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री विपणन संवर्धन केंद्र की स्थापना, वैश्विक परिवहन आधारित उद्योग व्यापार केंद्र की स्थापना, आपदा प्रबंधन अनुसंधान विकास और प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना और विद्युत उपकरण निर्माण इकाइयां तथा ऊर्जा संवर्धन उत्पादन प्रतिष्ठान की स्थापना मुख्य रूप से शामिल हैं।  

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