अखंड सुहाग के लिए महिलाओं ने रखा करवाचौथ का व्रत, चांद का किया दीदार, पिया के हाथों जल ग्रहण कर किया पारण
करवाचौथ के इस पावन अवसर पर वाराणसी के हर गली, मोहल्ले और मंदिर में सज-धज कर सुहागिनें दिखाई दीं। सुबह से ही व्रत का अनुष्ठान प्रारंभ हुआ। महिलाएं पारंपरिक परिधानों में सजी-धजी नजर आईं, जिनमें ज्यादातर ने लाल, पीले और सुनहरे रंग के परिधान पहने थे। सुहागिनों ने मेहंदी से अपने हाथों को सजाया और पारंपरिक आभूषणों के साथ तैयार हुईं।
पूरे दिन रखा निर्जला व्रत
करवाचौथ पर सुहागिनों ने पूरे दिन बिना पानी पिए और बिना कुछ खाए व्रत रखा। इस व्रत की परंपरा में महिलाएं सूर्योदय से पहले ही 'सरगी' का सेवन करती हैं, जिसे उनके ससुराल या परिवार द्वारा भिजवाया जाता है। सरगी में मिठाइयाँ, फल, ड्राई फ्रूट्स और अन्य पौष्टिक भोजन होते हैं, जो उन्हें दिनभर व्रत करने के लिए ऊर्जा देते हैं।
सुहागिनों ने दिनभर व्रत रखा और शाम को पूजा की तैयारियों में जुट गईं। महिलाएं समूहों में इकट्ठा होकर करवाचौथ की कथा सुनती हैं, जो इस पर्व के महत्व और पति की लंबी उम्र की कामना से जुड़ी होती है। इस पूजा में विशेष रूप से करवा (मिट्टी का बर्तन) का उपयोग होता है, जिसे महिलाएं जल से भरकर देवताओं को अर्पित करती हैं।
करवाचौथ के अवसर पर काशी के कई प्रमुख मंदिरों में विशेष पूजा और अनुष्ठान का आयोजन किया गया। महिलाएं इन मंदिरों में जाकर अपनी पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती नजर आईं। विश्वनाथ मंदिर, दुर्गा मंदिर, मां संकठा मंदिर व मां मंगला गौरी जैसे प्रमुख स्थलों पर महिलाओं का तांता लगा रहा।
करवाचौथ की पूजा विधि के तहत महिलाएं करवा और दीपक के साथ चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। जैसे ही रात को चंद्रमा का उदय हुआ, महिलाओं ने सुहाग की लंबी उम्र के लिए अपने पति के हाथ से जल ग्रहण कर व्रत तोड़ा। इस दौरान पति भी अपनी पत्नी को मिठाई खिलाकर उनके व्रत का समापन कराते हैं।
पति-पत्नी के प्रेम का प्रतीक
करवाचौथ पति-पत्नी के प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं न केवल अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, बल्कि यह पर्व दोनों के बीच के रिश्ते को और मजबूत करने का अवसर भी बनता है। इस विशेष दिन पर पति भी अपनी पत्नी के प्रति आभार व्यक्त करते हैं और उन्हें उपहार देते हैं। कई स्थानों पर पतियों ने अपनी पत्नियों को खास उपहार और आभूषण भेंट किए, जिससे उनके रिश्ते में और मिठास आ सके।
शॉपिंग और साज-सज्जा की धूम
करवाचौथ से पहले शहर के बाजारों में भी खूब रौनक रही। साड़ी, गहनों और मेहंदी की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ उमड़ी रही। खासकर ब्यूटी पार्लरों और मेहंदी लगाने वालों के पास महिलाओं का तांता लगा रहा। महिलाओं ने अपनी पसंद के परिधान और गहने पहने और करवाचौथ की पूजा के लिए खुद को तैयार किया। शहर के कई इलाकों में महिलाएं समूह में इकट्ठी होकर गीत-गाने और नृत्य करती नजर आईं। करवाचौथ की खुशियां उनके चेहरों पर झलक रही थीं।
करवाचौथ के अवसर पर वाराणसी में महिलाओं ने पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ इस पर्व को मनाया। पति की लंबी उम्र और समृद्ध जीवन की कामना के साथ, इस व्रत ने पति-पत्नी के रिश्ते को और भी मजबूत किया। पर्व की यह धूमधाम वाराणसी की संस्कृति और पारिवारिक संबंधों में गहरी आस्था का प्रतीक बनी रही।
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