तुर्की और अजरबैजान की बुकिंग कैंसिल कराके कहां जा रहे बनारस और पूर्वांचल के पर्यटक ? 

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वाराणसी। पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव ने तुर्की और अजरबैजान के पर्यटन उद्योग को जोरदार झटका दिया है। उत्तर प्रदेश, खासकर पूर्वांचल के लगभग 20 हजार पर्यटकों ने इन दोनों देशों की यात्रा बुकिंग्स रद्द कर दी हैं, जिससे इन देशों की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने की आशंका है। टूरिस्ट गाइड फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. अजय सिंह ने बताया कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के कारण भारतीय पर्यटक अब तुर्की और अजरबैजान जैसे पाकिस्तान समर्थक देशों से दूरी बना रहे हैं। इसके बजाय, वे हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश जैसे खूबसूरत घरेलू पर्यटन स्थलों की ओर रुख कर रहे हैं।

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कितना बड़ा है नुकसान?
पिछले वर्ष के आंकड़ों पर नजर डालें तो यूपी से 37,500 पर्यटक तुर्की और 28,000 अजरबैजान गए थे। पूरे भारत से तुर्की में 2 लाख 85 हजार और अजरबैजान में 2 लाख 10 हजार पर्यटकों ने यात्रा की थी। तुर्की की अर्थव्यवस्था का 12% और अजरबैजान का 10% हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है। ऐसे में, यूपी के पर्यटकों द्वारा बुकिंग्स रद्द करना इन देशों के लिए बड़ा आर्थिक झटका साबित हो सकता है। डॉ. अजय सिंह के मुताबिक, "पिछले कुछ हफ्तों में बुकिंग्स रद्द करने का सिलसिला तेजी से बढ़ा है, और यह ट्रेंड अभी जारी है।"

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क्यों रद्द हो रही हैं बुकिंग्स?
पाकिस्तान के साथ तुर्की और अजरबैजान की नजदीकी को भारतीय पर्यटक अब संशय की नजर से देख रहे हैं। हाल के भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, खासकर कश्मीर मुद्दे पर तुर्की के बयानों और अजरबैजान की पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति ने भारतीय पर्यटकों के बीच नाराजगी पैदा की है। सोशल मीडिया पर भी #BoycottTurkey और #ExploreIndia जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जो पर्यटकों को देश के भीतर ही यात्रा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

हिमाचल और नॉर्थ-ईस्ट को फायदा
यूपी के पर्यटक अब हिमाचल के शिमला, मनाली, और धर्मशाला जैसे हिल स्टेशनों के साथ-साथ नॉर्थ-ईस्ट के गंगटोक, शिलांग, और तवांग जैसे स्थलों को चुन रहे हैं। डॉ. अजय सिंह ने कहा, "यह हमारे पर्यटन उद्योग के लिए सुनहरा अवसर है। नॉर्थ-ईस्ट जैसे क्षेत्र, जो पहले कम खोजे गए थे, अब पर्यटकों की पहली पसंद बन रहे हैं।" ट्रैवल एजेंसियों ने भी बताया कि हिमाचल और नॉर्थ-ईस्ट के लिए बुकिंग्स में 30-40% की बढ़ोतरी देखी गई है।

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आगे क्या?
पर्यटन विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो तुर्की और अजरबैजान को न केवल आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि भारत के साथ उनके रिश्तों पर भी असर पड़ सकता है। वहीं, भारत के घरेलू पर्यटन उद्योग को इससे अभूतपूर्व बढ़ावा मिलेगा। डॉ. अजय सिंह ने सुझाव दिया कि सरकार को नॉर्थ-ईस्ट जैसे क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को और मजबूत करना चाहिए ताकि पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिले।

आप क्या सोचते हैं? क्या भारतीय पर्यटकों का यह कदम तुर्की और अजरबैजान के लिए सबक बनेगा, या यह भारत के पर्यटन उद्योग के लिए नई संभावनाओं का द्वार खोलेगा? अपनी राय साझा करें!

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