मुख़्तार ने जब-जब व्यापारियों से मांगी रंगदारी, ढाल बने अवधेश राय, पुरानी रंजिश में माफिया ने सरेराह उतार दिया मौत के घाट, 32 साल बाद हुई उम्रकैद

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वाराणसी। मुख़्तार अंसारी के आपराधिक साम्राज्य का अंत हो चुका है। माफिया का पार्थिव शरीर बांदा से भदोही और वाराणसी के रास्ते गाजीपुर भेजा जा रहा है। जहां शनिवार को माफिया को सुपुर्दे खाक किया जाएगा। 

मुख़्तार ने अपने खौफ से पूर्वांचल समेत पंजाब और दिल्ली तक अपना साम्राज्य कायम कर रखा था। वाराणसी में मुख़्तार के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं, जिनमें कई मामलों में उसे सजा भी हो चुकी है, और कुछ मामलों में वह बरी भी हो चुका है। जिसमें POTA, अवधेश राय हत्याकांड, रुंगटा अपहरण व हत्याकांड, रुंगटा के परिवार को धमकाने जैसे मामले शामिल हैं। 

मुख़्तार को जिन मुकदमों में सजा हुई है। उनमें सबसे प्रमुख अवधेश राय हत्याकांड है। जिसमें 32 वर्ष बाद मुख़्तार को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अवधेश राय कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के बड़े भाई थे। 3 अगस्त 1991 की सुबह, अवधेश राय अपने लहुराबीर स्थित आवास के बाहर खड़े थे। इसी दौरान बगैर नंबर प्लेट की गाड़ी से आए बदमाशों ने राय पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। 

घटना स्थल चेतगंज थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर था। अजय राय ने उस गाड़ी का पीछा भी किया, लेकिन वह उसे पकड़ने में असफल रहे। अवधेश राय को नजदीकी के एक प्राइवेट नर्सिंग होम ले जाया गया, जहां ईलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। यह पहला मामला था, जब मुख़्तार अंसारी को 5 जून 2023 को वाराणसी की अदालत ने सजा सुनाई थी। 

पहले रेकी, फिर गुर्गों संग कर दी अवधेश राय की हत्या

90 के दशक में मुख़्तार गिरोह ने जब बनारस में अपना पांव पसारना शुरू किया था। उसका दबदबा वाराणसी से गाजीपुर होते हुए पूर्वांचल में तेजी से बढ़ रहा था। मुख़्तार गिरोह के आगे बढ़ने में सबसे बड़ा रोड़ा थे, कांग्रेस नेता अवधेश राय। मुख़्तार जब भी किसी व्यापारी से रंगदारी मांगता, अवधेश राय उस व्यापारी की ढाल बन जाते थे। नतीजन, 3 अगस्त 1991 की सुबह, मुख़्तार ने अपने गिरोह संग मिलकर अवधेश राय की हत्या कर दी। 

पुरानी रंजिश के कारण आसान हो गई हत्या

दरअसल, मुख़्तार और अवधेश राय में पुरानी रंजिश भी थी, जिसके कारण मुख़्तार के लिए इस हत्या को अंजाम देना और भी आसान हो गया था। बताया जाता है कि अवधेश राय को मारने के लिए मुख़्तार ने अपने गुर्गों से पहले रेकी कराई थी, इसके बाद एक दिन इस दुर्दांत घटना को अंजाम दिया गया। हत्या के बाद मुख़्तार के गुर्गे अपनी गाड़ी छोड़कर गली से ही भाग निकले थे। 

कोर्ट में पेश की अवधेश राय पर दर्ज 19 मुकदमों की रिपोर्ट

वाराणसी जिला न्यायालय में सुनाव्यी के दौरान बचाव पक्ष ने अवधेश राय पर हत्या सहित अन्य आपराधिक मामलों में दर्ज 19 मुकदमों को अपना ढाल बनाया था। न्यायालय में अभियुक्त की ओर से चेतगंज थाने में दर्ज 10, सिगरा थाने के छह और कैंट के दो और शिवपुर में एक मुकदमे का विवरण भी पेश किया गया था। इस मामले में मुख़्तार के ओर से कहा गया कि अवधेश राय का आतंक समाज में व्याप्त था। मृतक पर उनके दुश्मनों ने कई मुकदमे भी दर्ज कराए थे। 

अदालत ने मुख़्तार अंसारी को धारा, 148, 149 और 302 के तहत दोषी पाया था। कोर्ट ने मुख़्तार अंसारी को उम्रकैद के साथ ही एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया था। जुर्माना न भरने की सूरत में मुख़्तार को 6 माह और जेल में बीताना पड़ता। इसके अलावा एक और धारा में मुख़्तार पर 20 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया था, न चुका पाने की सूरत में उसकी सजा तीन महीने और बढ़ जाती। 
 

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