जब आस्था चढ़ी परवान, विद्यापीठ की छात्रा अंकिता ने मेंहदी से रच दी भगवान राम की छवि

ankita verma
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वाराणसी। कहते हैं कि जब आस्था परवान चढ़ती है, तो भक्त अपने आराध्य के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाता है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को हर भक्त अपने तरीके से यादगार बनाने में जुटा हुआ है। इसी बीच महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के विजुअल आर्ट्स की पूर्व छात्रा अंकिता वर्मा ने मेंहदी से भगवान श्रीराम की नेत्रप्रिय छवि बनाई है। जिसे ग्रेटेस्ट वर्ल्डस रिकार्ड्स में दर्ज किया गया है। 

उक्त चित्र का विमोचन शुक्रवार  को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के सोशलवर्क विभाग के राजाराम शास्त्री सभागार में कुलपति प्रोफेसर आनंद कुमार त्यागी ने किया। इस दौरान कलाकार अंकिता वर्मा को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के ललित कला विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ० सुनील कुमार विश्वकर्मा ने प्रमाण पत्र एवं मेडल देकर सम्मानित किया। 

अंकिता के मुताबिक, उन्होंने हाथों में रचने वाली मेंहदी का घोल तैयार कर, सूखने के उपरांत मेंहदी धरातल से छूटे नहीं, जिसके लिए उन्होंने घोल में लिक्विड का प्रयोग कर कोन बनाकर अपने इस मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी के चित्र के कार्य को पूर्ण किया। विश्वविद्यालय में परीक्षा एवं शीत लहर के कारण विमोचन में इंतजार करना पड़ा।

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अंकिता ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी जी के कार्य और उनके विचारों से प्रभावित होकर यह कार्य किया। यह कार्य करने को अंकिता वर्मा ने बहुत पहले से ही मन बना लिया था जिसे उन्होंने सितंबर 2023 में पूर्ण किया। 4 फिट लंबे और 2 फिट चौड़े डब्लू पी सी बोर्ड पर लगातार कुल 3 घंटे 24 मिनट का समय में कड़ी मेहनत के साथ पूरा किया। बाते कि मेंहदी का भी कोर्स आपने छोटी उम्र में पूर्ण कर पहला स्थान लाकर प्रमाण पत्र हासिल किया था।

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गौरतलब है कि इससे पहले अंकिता वर्मा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रभावित होकर 25001 राम नाम लिखित चावल के दानों से माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी का चित्र बनाया था और अपना नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड इंडिया में दर्ज किया था। अंकिता की इच्छा है कि वह अपने हाथों से चित्रित प्रधानमंत्री मोदी जी का चित्र उन्हें भेंट करें। परन्तु कोई न कोई समस्याओं के कारणवश यह कार्य अभी तक संभव नही हो पाया है। अंकिता की इच्छा थी कि वह श्री राम जी के छवि को प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर राम मंदिर में भेंट करे लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यह कहने पर कि किसी भी तरह की भीड़ 22 जनवरी को इकट्ठा न हो इसलिए यह कार्य सम्भव नहीं हो पाया।


बता दें कि अंकिता वर्मा मूलतः गाजीपुर की रहने वाली हैं। उनकी पढाई-लिखाई वाराणसी में ही हुई है। उन्होंने बनारस शहर के साथ साथ अपने मूल स्थान गाजीपुर और अपने गांव परिवार का भी नाम रोशन किया है।
 

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