जल ही जीवन है, प्रोफेसर देसाई ने बताया वनों का महत्व, आईआईटी बीएचयू में वेद विज्ञान विमर्श

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वाराणसी। आईआईटी बीएचयू में आयोजित दो दिवसीय वेद विज्ञान विमर्श के दूसरे दिन जल और वनों के महत्व पर चर्चा हुई। मुख्य वक्ता आईआईटी धारवाड़ के निदेशक प्रोफेसर वीआर देसाई ने जलवायु परिवर्तन, जल प्रबंधन और वनों के महत्वों पर विचार व्यक्त किए। 

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उन्होंने जलवायु सहनशीलता के लिए स्वैच्छिक वनीकरण के माध्यम से पेड़ (वृक्ष) और सितारे (नक्षत्र)" विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने जल प्रबंधन पर जोर देते हुए कहा कि "जल ही जीवन है"। सतत जल संसाधन प्रबंधन के लिए समेकित जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन (IWM) और संसाधन संरक्षण आवश्यक हैं। प्रो. देसाई ने वनों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि वनों की कटाई पिछले कई दशकों से पशु आवास की हानि का कारण बनी है। उन्होंने सभी को संदेश दिया कि हमारा अंतिम उद्देश्य जल और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रबंधन प्राप्त करना और कार्बन नकारात्मक/तटस्थ क्षेत्र/राष्ट्रों का निर्माण करना होना चाहिए।

डॉ. अनुप कुमार ने भारतीय न्यायशास्त्र, धर्म के विस्तृत अवधारणाओं पर चर्चा की। धर्म तथा सौंदर्य, नैतिकता जैसे अन्य समान अवधारणाओं के बीच के अंतर को समझाया। उन्होंने धर्म की समग्र दृष्टि के बारे में बताया, जो जीवन के विभिन्न आयामों को समेकित रूप से देखती है। दूसरे दिन के दौरान दो सत्र आयोजित किए गए। पहला सत्र विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी पर केंद्रित था, जिसकी अध्यक्षता IIT (BHU) के प्रो. आरके. मिश्रा ने की। इस सत्र में प्रो. सोनू रामशंकर (ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा), डॉ. लक्ष्मणन कैलासम (कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग, IIT BHU), और डॉ. मधुसूदन मिश्रा (संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी) ने अपने विचार प्रस्तुत किए। 

दूसरा सत्र कानून, राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक विज्ञान पर आधारित था, जिसकी अध्यक्षता प्रो. विजय शंकर शुक्ल (अतिथि प्रोफेसर, भारत अध्ययन केंद्र, BHU) ने की। इस सत्र में प्रो. टीपी सिंह (राजनीति विज्ञान विभाग, BHU), डॉ. आरके सिंह (कृषि विज्ञान संस्थान, BHU), और डॉ. अभिजीत दीक्षित (क्षेत्रीय निदेशक, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, वाराणसी) प्रमुख वक्ता थे। दिन के अंत में एक पैनल चर्चा आयोजित की गई, जिसका संचालन डॉ. पवन कुमार अलुरी (IIT BHU) ने किया। इस पैनल में प्रो. वीआर देसाई, डॉ. अभिजीत दीक्षित, प्रो. ब्रजकिशोर स्वैन और प्रो. राजेश कुमार (डीन, छात्र मामलों के प्रभारी, IIT BHU) शामिल थे। 

चर्चा में धर्म और आलोचनात्मक सोच के बीच के संभावित संघर्ष पर बात की गई, जिसमें यह स्थापित किया गया कि भारतीय ज्ञान प्रणाली सत्य को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखती है और उसकी दृष्टि समेकित होती है, इसलिए इस तरह का प्रश्न भारतीय सोच में उत्पन्न नहीं होता। समापन समारोह में सभी गणमान्य व्यक्तियों का सम्मान किया गया। पोस्टर प्रस्तुती पर पुरस्कार वितरित किए गए। सम्मेलन की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रो. राजेश कुमार (संयोजक, वेद विज्ञान विमर्श – 2024) द्वारा प्रस्तुत की गई। समापन समारोह में प्रो. भारतेन्दु के सिंह (निदेशक, IIITDM जबलपुर) और प्रो. वीआर देसाई ने अपने विचार साझा किए। विज्ञान भारती का भविष्य दिशा-निर्देश प्रवीणराम दास (संयुक्त आयोजन सचिव, विज्ञान भारती) द्वारा प्रस्तुत किया गया। समापन संबोधन प्रो. एसबी द्विवेदी (डीन, शैक्षणिक मामले) ने दिया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ. पवन अलुरी (सदस्य, भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र, IIT BHU) द्वारा दिया गया।

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