वरूणा में उफान से सैकड़ों घरों में घुसा पानी, पुलिस कमिश्नर और डीएम ने हालात का लिया जायजा, बाढ़ पीएसी व जल पुलिस कर रही निगरानी
वाराणसी। वाराणसी में गंगा नदी के साथ-साथ उसकी सहायक वरुणा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण शहर के कई रिहायशी इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। नक्खी घाट जैसे क्षेत्रों में लोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए नावों का सहारा ले रहे हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, करीब 75 फीसदी आबादी इस बाढ़ से प्रभावित हुई है, और कई परिवार अपने घर छोड़ने को मजबूर हैं। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायजा लिया। इस दौरान अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।

प्रशासन की तैयारियां
पुलिस कमिश्नर ने बताया कि गंगा और वरुणा का जलस्तर बढ़ने से लगभग 4 से 5 हजार परिवार प्रभावित हैं। गंगा का जलस्तर रात तक खतरे के निशान को पार कर सकता है। उन्होंने कहा, "मैंने और डीएम ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया है। लगभग 4 से 5 हजार परिवार इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।" प्रशासन ने राहत कार्यों को तेज कर दिया है। वर्तमान में 17 बाढ़ राहत शिविर संचालित किए जा रहे हैं, और कल से कुछ और शिविर शुरू किए जाएंगे। सुरक्षा के लिए हर शिविर पर पुलिस बल तैनात किया गया है। जल पुलिस, एनडीआरएफ, और बाढ़ पीएसी की टीमें लगातार पेट्रोलिंग कर रही हैं ताकि खाली पड़े घरों में चोरी की घटनाओं को रोका जा सके।

चुनौतियां और राहत कार्य
बाढ़ के कारण बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित होने से लोगों का जीवनयापन और मुश्किल हो गया है। प्रशासन ने प्रभावित लोगों के लिए राहत शिविरों में भोजन, पानी और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा किया है, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी भी कई समस्याएं बरकरार हैं। जैसे-जैसे जलस्तर बढ़ रहा है, प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर इस संकट से निपटने की कोशिश कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों को और तेज करने की जरूरत है ताकि लोगों को इस आपदा से जल्द से जल्द उबारा जा सके।

बाढ़ से प्रभावित लोगों की मुश्किलें
नक्खी घाट के निवासियों ने अपनी समस्याओं को साझा किया। स्थानीय निवासी जमालुद्दीन ने बताया, "चारों तरफ पानी भर गया है। आने-जाने में भारी दिक्कत हो रही है। नाव ही एकमात्र सहारा है। बिजली और पानी की आपूर्ति ठप है, और रोजगार-धंधा पूरी तरह प्रभावित हुआ है।" वहीं, अनीस अहमद ने कहा, "स्थिति बहुत खराब है। रोजाना 2500 से 3000 लोग नाव से आवागमन कर रहे हैं। कुछ लोग घर छोड़कर चले गए हैं, जबकि कुछ लोग अपने घरों की निगरानी के लिए रुके हैं।"नाविक धर्मेंद्र साहनी ने बताया कि वे दिन भर में 400 से 500 लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रहे हैं। नावें दिन में करीब 20 चक्कर लगा रही हैं, जिससे लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से निकालने में मदद मिल रही है।





