वोटरों ने फसाया झाम, नेता परेशान, अब कल आएगा परिणाम
​​​​​​​

chay

वाराणसी। चुनावी बयार बह रही हो और काशी की अड़ियां गुलजार न हों ऐसा कैसे हो सकता है। निकाय चुनाव की पूर्व संध्या से देर रात तक अड़ियां सियासत के धनचक्कर में उलझी रहीं। सबके अपने-अपने दावे और अपना-अपना समीकरण। सियासत के इस दौर में कैंट-लहरतारा मार्ग स्थित नाईट मार्केट में की अड़ी ‘चाय सियासत‘ भी गुलजार रही। 

chay

मुद्दा कौन बनेगा मेयर और किस पार्टी के कितने पार्षदों के सिर सजेगा जीत का सेहरा। वरिष्ठ पत्रकार एके लारी तमाम गुणा गणित के साथ मेयर भाजपा का बनाने में जुटे रहे। कहाकि बीसे हजार वोट से सही जीतेगा भाजपा का मेयर। नगर निकाय में दस वार्डों का बढ़ना और वोटों के बंटवारे, राजनीतिक समीकरण के बीच कमल खिलने के तर्कों के गुलदस्ते बनाते रहे। बगल में बैठे प्रोफेसर मोहम्मद आरिफ ने भी अपनी राजनीतिक समझ का पासा फेंका। कहा-कुछ भी सम्भव है। वोट प्रतिशत कम होना, वोटों के बंटने से सियासत उलझी नजर आ रही है। लेकिन समाज को बांटने की कोशिश नही होनी चाहिए। इस बार मतदाताओं की चुप्पी ने प्रत्याशियों और उनके समर्थकों को उलझा दिया है। नतीजों के रहस्य से पर्दा तो कल उठ जाएगा। लेकिन काशी हमेशा कुछ न कुछ संदेश देती रही है। कोई जीते और कोई हारे लेकिन समाज तोड़ने की नही जोड़ने का संदेश काशी से दुनिया को जाना चाहिए।

तबतक आटो रिक्शा यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष भगवान सिंह भी बतकुच्चन में कूद पड़े। बोले-वोट एहर गयल कि ओहर कल सब समझ में आ जाई। लेकिन हमार गणित त कुछ अउर कहत हौ। कुछ मिला चुनाव से पहिलही बड़ा उछरत रहलन। अब बड़ा गंभीर देखात हउअन सब। मामला का हौ ई समझ में नही आवत हौ। गली-गली, दरवाजे-दरवाजे मंत्री, विधायक घूमलन। एकरे बाद भी वोट ज्यादा नाही निकलल ई चिंता क विषय हौ। पत्रकार मो. रईस और सुनील जायसवाल गंभीर मुद्रा में। बोले कि चुनावी बैतरणी में सबने गोते लगाए है। सबके जीत के दावे हैं। मतपेटियों में बंद जनता का फैसला सामने आने जा रहा है। कईयों के चेहरे खिल जाएंगे और कई मुरझाए दिखेंगें। लेकिन यह बेहद रोचक होगा कि काशी की जनता क्या फैसला सुनाती है। 

chay

अब शनि दयाल सोनकर, ज्ञान प्रताप सिंह, दीपक सोनकर और शशिकला भारती वक्ताओं के चुनावी समीकरण के बवंडर में उलझ गये। किसी ने कहाकि कांग्रेस ने मुस्लिम वोट ज्यादा खींच लिया तो किसी ने सपा को वोट खिंचवा बताया। सबके अपने-अपने तर्क। लेकिन अड़ी के गंभीर चिंतन के बीच आते-जाते मित्रों, परिचितों से दुआ सलाम भी होते रहे। छावनी परिषद के उपाध्यक्ष रहे कांग्रेसी नेता शैलेंद्र सिंह भी चुनावी रंगत के चटखारे लेकर मजे लेते रहे। इसी बीच वरिष्ठ पत्रकार ने सबकी गंभीरता तोड़ दी और अड़ी पर पहुंचे एक परिचित पत्रकार को आवाज लगाई। का बे कमलुआ तोर आदत न छूटी। ठीक से रह नाही त बड़ी पिटईबे। ठहाके गूंजने लगे। अड़ी अपनी रोजमर्रा की बहस पर लौट आई। 
 

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story