वट सावित्री व्रत : सुहागिनों ने वटवृक्ष की पूजा कर मांगी पति की लंबी आयु, पर्यावरण संरक्षण का भी दिया संदेश

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वाराणसी। वट सावित्री व्रत सोमवार को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। वाराणसी में भी सुहागिन महिलाओं ने पारंपरिक रीति-रिवाजों के अनुसार व्रत रखते हुए वटवृक्ष की पूजा की और पति की लंबी उम्र व सुखमय दांपत्य जीवन की कामना की। इस व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन देवी सावित्री ने अपने पतिव्रत, त्याग और तपस्या के बल पर अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से वापस प्राप्त किया था। तभी से यह व्रत अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि और दीर्घायु के लिए किया जाता है। 

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इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर वटवृक्ष (बरगद के पेड़) की विधिवत पूजा करती हैं। इस वृक्ष को देव त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इसकी जड़ों में ब्रह्मा, तने में विष्णु और शाखाओं में शिव का वास होता है। पूजा के दौरान महिलाएं वटवृक्ष की परिक्रमा करती हैं और रक्षासूत्र (कलावा या कच्चा सूत) बांधती हैं। परिक्रमा की संख्या परंपरा अनुसार 7 से 21 बार होती है। पूजा के समय महिलाएं सावित्री-सत्यवान की पौराणिक कथा सुनती हैं और व्रत कथा का श्रवण कर अपने पति के लिए दीर्घायु और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की कामना करती हैं।

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वाराणसी के हैदराबाद गेट समेत कई इलाकों में महिलाओं ने समूह में एकत्र होकर श्रद्धा और उत्साह के साथ पूजन किया। पूजा के दौरान पारंपरिक वेशभूषा में सजी-धजी महिलाओं ने मंत्रोच्चारण के साथ वटवृक्ष की पूजा की और प्रसाद वितरित किया। वट सावित्री व्रत न केवल वैवाहिक जीवन की समृद्धि और सौभाग्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है। वटवृक्ष का पूजन कर महिलाएं पेड़ों की महत्ता और संरक्षण का संकल्प भी लेती हैं। आज के दिन किए गए धार्मिक कर्मकांड नारी शक्ति, सतीत्व और प्रेम की मिसाल के साथ-साथ प्रकृति के प्रति कृतज्ञता को भी दर्शाते हैं।

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