डेढ़ करोड़ की साइबर ठगी से बाल बाल बचे बनारस के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ, पुलिस ने HDFC बैंक कर्मियों को किया सम्मानित

वाराणसी। पुलिस और HDFC बैंक के कर्मचारियों की तत्परता और जागरुकता ने बीएचयू के सेवानिवृत्त हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. पी.आर. गुप्ता को डिजिटल अरेस्ट के खतरनाक जाल से बचा लिया। अपर पुलिस आयुक्त, कानून-व्यवस्था एवं मुख्यालय, कमिश्नरेट वाराणसी, डॉ. एस. चन्नप्पा ने इस सराहनीय कार्य के लिए HDFC बैंक के कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
दरअसल, 22 मई को प्रो. पीआर गुप्ता को साइबर ठगों ने डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाने की कोशिश की। ठगों ने उन्हें डरा-धमकाकर HDFC बैंक की लंका शाखा में अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट तोड़कर राशि को बचत खाते में स्थानांतरित करने के लिए कहा। चिंतित और घबराए हुए प्रो. गुप्ता ने ऐसा करने की कोशिश की, लेकिन HDFC बैंक के सतर्क कर्मचारियों प्रियतमा चौधरी, अलीशा जायसवाल, आकाश श्रीवास्तव, अभिषेक मिश्रा और ब्रांच मैनेजर श्री विश्वनाथ पाठक को कुछ गड़बड़ का अहसास हुआ।
बैंक कर्मचारियों ने तुरंत इसकी सूचना थाना लंका के प्रभारी निरीक्षक शिवाकांत मिश्रा को दी। वाराणसी पुलिस की त्वरित कार्रवाई और बैंक के सहयोग से न केवल प्रो. गुप्ता को साइबर ठगी का शिकार होने से बचाया गया, बल्कि डेढ़ करोड़ रुपये की राशि को डिजिटल धोखाधड़ी के चंगुल से भी सुरक्षित कर लिया गया।
इस शानदार प्रयास के लिए अपर पुलिस आयुक्त डॉ. एस. चन्नप्पा ने HDFC बैंक के कर्मचारियों और जोन हेड मनीष टंडन की जमकर तारीफ की। उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके साथ ही, डॉ. चन्नप्पा ने मनीष टंडन से साइबर फ्रॉड और डिजिटल अरेस्ट जैसे खतरनाक धोखाधड़ी से खाताधारकों को बचाने और जागरुक करने के लिए एक विशेष जागरूकता अभियान चलाने का अनुरोध किया।
यह घटना न केवल पुलिस और बैंक के सहयोग का शानदार उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सतर्कता और जागरूकता से हम साइबर अपराधियों के मंसूबों को नाकाम कर सकते हैं।