अक्षय तृतीया पर बूम हुआ बनारस का सर्राफा बाजार, जमकर हुई सोने-चांदी की खरीदारी, दुकानों पर उमड़ी भीड़

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वाराणसी। अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर काशी का सर्राफा बाजार बूम हुआ। सोने-चांदी के आभूषणों की खरीदारी को लेकर सुबह से ही दुकानों पर लंबी कतारें लगनी शुरू हो गईं। हर कोई अक्षय फल की कामना के साथ कुछ न कुछ खरीदने पहुंचा, जिसका असर यह रहा कि शहर के सर्राफा कारोबार ने सौ करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया।

बनारस की सराफा मंडियों ने इस बार रिकॉर्ड बिक्री दर्ज की। महंगाई की मार के बावजूद लोगों की श्रद्धा और परंपरा के भावों ने बाजार को रफ्तार दी। सोने और चांदी के आभूषणों के साथ-साथ हीरे के गहनों की भी खूब बिक्री हुई। रेशम कटरा के ज्वेलरी व्यापारी रमेश सेठ ने बताया कि इस बार अक्षय तृतीया पर अब तक का सबसे शानदार कारोबार देखने को मिला। 

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बनारस के ठठेरी बाजार, सुड़िया, रेशम कटरा, नारियल बाजार, कोदई चौकी, कर्णघंटा, गोविंदपुरा और छत्तातले जैसे प्रमुख थोक बाजारों में ग्राहक लगातार उमड़ते रहे। सर्राफा मार्केट के जानकारों का कहना है कि धनतेरस के बाद अक्षय तृतीया ही ऐसा पर्व है, जब सबसे अधिक आभूषण खरीदे जाते हैं। लोग इसे बेहद शुभ मानते हैं और मान्यता है कि इस दिन किया गया निवेश या खरीदारी अक्षय फल देती है, यानी कभी खत्म नहीं होती। इस परंपरा को निभाते हुए अधिकतर लोगों ने एक से दो ग्राम के सोने के सिक्के खरीदे, वहीं चेन, झुमका, बाली, चूड़ी और चांदी की पायल की भी भारी मांग रही।

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शादी-ब्याह के सीजन की सहालग के चलते भी इस बार बिक्री पर सकारात्मक असर देखने को मिला। कई परिवारों ने इस मौके पर दुल्हन के लिए गहनों की खरीदारी की। साथ ही जानकारों के अनुसार, अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी खरीदना न केवल आर्थिक दृष्टि से शुभ होता है, बल्कि जीवन में समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है।

बनारस न केवल पूर्वांचल बल्कि बिहार के कुछ हिस्सों के लिए भी प्रमुख सराफा केंद्र माना जाता है। यहां लगभग 100 बड़े शोरूम और 4000 से अधिक छोटी-बड़ी दुकानों का नेटवर्क है। इस पर्व पर खरीदारी ने इस पूरे नेटवर्क को जीवंत कर दिया।

दुकानदारों का कहना है कि लंबे समय से वे अक्षय तृतीया का इंतजार कर रहे थे और इस बार का कारोबार उम्मीद से कहीं बेहतर रहा। अब सभी की नजरें आगामी त्योहारों और शादी के सीजन पर हैं।
 

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