काशी में तैयार हो रहे ‘मेड इन इंडिया’ देसी क्रूज, गंगा किनारे बना यूपी का पहला मिनी शिपयार्ड
रिपोर्ट : ओमकारनाथ
वाराणसी। मुंबई, कोलकाता और कोच्चि के बाद अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी मेड इन इंडिया देसी क्रूज और आधुनिक नावें बनकर तैयार हो रही हैं। गंगा किनारे स्थापित यूपी का पहला मिनी शिपयार्ड न सिर्फ प्रदेश बल्कि देशभर में अपनी अलग पहचान बना रहा है। वाराणसी में डिजाइन किए गए देसी क्रूज लग्जरी सुविधाओं से लैस हैं।

मिनी शिपयार्ड की शुरुआत मुंबई निवासी विनय कुमार ने की है। उन्होंने “शिव ग्लोबल मरीन प्राइवेट लिमिटेड” के नाम से शिपयार्ड की स्थापना की। इसका शुभारंभ इसी वर्ष अप्रैल में हुआ। शुरुआत के कुछ ही महीनों में यहां छोटे-बड़े नावों और क्रूज की भारी डिमांड आने लगी है।

देश-विदेश से मिल रहे ऑर्डर
विनय कुमार ने बताया कि उनके शिपयार्ड में केवल उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश, ओडिशा, चेन्नई, बिहार, मणिपुर सहित कई राज्यों से नाव और क्रूज तैयार कराने के ऑर्डर आ रहे हैं। इतना ही नहीं, बांग्लादेश और अन्य साउथ एशियन देशों से भी क्रूज और बोट की मांग मिल रही है, जिन्हें वाराणसी में ही डिजाइन कर तैयार किया जा रहा है।

डिजाइन से फिनिशिंग तक पूरी सुविधा
इस मिनी शिपयार्ड में क्रूज और नावों की डिजाइन, ले-आउट, निर्माण और फाइनल फिनिशिंग तक का कार्य किया जाता है। यहां तैयार होने वाले क्रूज की कीमत करोड़ों रुपये तक होती है। आधुनिक तकनीक और कुशल कारीगरों के जरिए नावों को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर तैयार किया जा रहा है।

गंगा से आसान ट्रांसपोर्टेशन
विनय कुमार के अनुसार वाराणसी से बांग्लादेश और अन्य साउथ एशियन देशों तक गंगा नदी के रास्ते क्रूज और नावों का ट्रांसपोर्टेशन बेहद आसान है। यही वजह है कि वाराणसी में शिपयार्ड स्थापित करना रणनीतिक रूप से भी लाभकारी साबित हो रहा है।
डिफेंस के लिए विशेष एल्युमिनियम बोट
इस शिपयार्ड में फाइबर, मेटल और एल्युमिनियम की नावें तैयार की जाती हैं। खास बात यह है कि एल्युमिनियम की नावें केवल डिफेंस ऑर्डर पर बनाई जाती हैं। हाल ही में यहां से मणिपुर पुलिस के लिए नावें भेजी गई हैं, जबकि वाराणसी जल पुलिस के लिए भी नावों की डिजाइन तैयार की जा चुकी है।
स्थानीय लोगों को मिला रोजगार
यह मिनी शिपयार्ड स्थानीय रोजगार का भी बड़ा जरिया बन रहा है। विनय कुमार ने बताया कि उनके शिपयार्ड में काम करने वाले करीब 90 प्रतिशत कर्मचारी स्थानीय निवासी हैं। इससे न सिर्फ रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण भी मिल रहा है।
काशी बन रही नई पहचान
गंगा किनारे स्थापित यह मिनी शिपयार्ड वाराणसी को धार्मिक और सांस्कृतिक नगरी के साथ-साथ मरीन इंडस्ट्री के नए केंद्र के रूप में भी स्थापित कर रहा है। मेड इन इंडिया अभियान को मजबूती देते हुए काशी अब देसी क्रूज निर्माण के मानचित्र पर भी उभरती नजर आ रही है।

