वाराणसी : नए ग्रामीण कानून का विरोध, मजदूर संगठनों ने शास्त्री घाट पर किया प्रदर्शन 

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वाराणसी। मनरेगा से जुड़े कर्मचारियों और मजदूर संगठनों ने शुक्रवार को शास्त्री घाट पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए ग्रामीण रोजगार कानून को मजदूर-विरोधी बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की। मनरेगा और श्रमिक अधिकारों पर हमले का आरोप लगाते हुए जमकर नारेबाजी की। साथ ही नए कानूनों को वापस लेने की मांग की। चेताया कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया तो आंदोलन को उग्र रूप देने को विवश होंगे। 

कर्मचारियों ने कहा कि मनरेगा लागू होने से पहले ग्रामीण और भूमिहीन मजदूरों की स्थिति बेहद दयनीय थी। खेतों में काम बंद होने पर मजदूरों को शहरों का रुख करना पड़ता था, जहां उन्हें बेहद कम मजदूरी पर कठिन परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता था। दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों के मजदूरों के पास न तो उचित मजदूरी तय थी और न ही उसे मांगने की ताकत।

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वर्ष 2005 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम लागू होने से हालात में बड़ा बदलाव आया। इस कानून के तहत 100 दिन के रोजगार की गारंटी, न्यूनतम मजदूरी और काम न मिलने पर भत्ता का अधिकार मिला। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन पर कुछ हद तक रोक लगी और मजदूरों की सौदेबाजी की स्थिति मजबूत हुई। कोरोना महामारी के दौरान भी मनरेगा गरीब और बेरोजगार मजदूरों के लिए सहारा बना।

आरोप लगाया कि अब केंद्र सरकार मनरेगा को कमजोर करने की दिशा में कदम उठा रही है। उनके अनुसार मनरेगा के स्थान पर लाया गया नया VB G RAM G कानून ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों पर सीधा हमला है। उनका दावा है कि इस कानून का उद्देश्य कारखानों और बड़े उद्योगपतियों को सस्ते श्रमिक उपलब्ध कराना है। साथ ही हाल ही में लागू किए गए चार नए श्रम कानूनों को भी मजदूरों के हितों के खिलाफ बताया गया।

कांग्रेस प्रवक्ता संजीव ने कहा कि मनरेगा महात्मा गांधी के स्वराज की अवधारणा पर आधारित है, जिसमें मजबूत पंचायत व्यवस्था, स्थानीय स्तर पर विकास और गरीबों को आर्थिक-सामाजिक शक्ति देने की भावना निहित थी। उन्होंने आरोप लगाया कि नए कानून से गांधी का नाम हटाकर सरकार ने उसकी मूल भावना को कमजोर किया है।

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