वाराणसी: बाबा कालभैरव का भव्य श्रृंगार महोत्सव सम्पन्न, सवा लाख दीपों से हुई महाआरती, दर्शन कर निहाल हुए श्रद्धालु

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वाराणसी। काशी के कोतवाल श्री 1008 बाबा कालभैरव जी का वार्षिक श्रृंगार महोत्सव इस वर्ष भी भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया गया। मंदिर परिसर में दिनभर धार्मिक उत्सवों की श्रृंखला चलती रही, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर बाबा के दर्शन किए और पुण्य लाभ अर्जित किया।

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महोत्सव की शुरुआत प्रातः 5 बजे मंदिर के महंत पं. सुमित उपाध्याय द्वारा की गई। उन्होंने बाबा को पंचमेवा स्नान कराया और नवीन वस्त्र धारण कराकर एक मनोहारी झांकी सजाई। इसके बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए गए। पूरे दिन मंदिर परिसर में भक्तों का तांता लगा रहा। मंदिर के चौराहे पर दोपहर 12 बजे से भण्डारे का आयोजन किया गया, जो देर रात तक निर्बाध रूप से चलता रहा।

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श्रृंगार महोत्सव के अंतर्गत दोपहर की भोग आरती के उपरांत बाबा को नया रजत मुखौटा पहनाया गया और भव्य स्वरूप में उनकी झांकी सजाई गई। बाबा को मिष्ठान, फल, पकवान और परंपरागत रूप से मदिरा का भोग अर्पित किया गया। भोग अर्पण के बाद आरती संपन्न हुई और पुनः मंदिर के कपाट खोले गए। कपाट खुलते ही चारों ओर "जय बाबा कालभैरव" के जयकारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा।

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अपराह्न 4 बजे से वैदिक विधि-विधान के अंतर्गत चारों वेदों की ऋचाओं से बाबा की बसंत पूजा संपन्न की गई। शाम 6 बजे से भजन संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें प्रसिद्ध गायक आलोक नादान की प्रस्तुति पर भक्त भावविभोर होकर झूम उठे।

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श्रृंगार महोत्सव का मुख्य आकर्षण मध्यरात्रि को सवा लाख बत्तियों से की गई महाआरती रही, जिसने उपस्थित श्रद्धालुओं को एक अलौकिक अनुभूति दी। बाबा का दरबार देशी-विदेशी फूलों और पारंपरिक कामिनी की पत्तियों से इस तरह सजाया गया था कि पूरा मंदिर परिसर एक दिव्य लोक में परिवर्तित हो गया था। मंदिर तक पहुंचने वाले मार्गों पर भी आकर्षक सजावट की गई थी। इस अवसर पर मंदिर के पूर्व महंत स्व. प्रदीपनाथ उपाध्याय को भी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। 

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