वाराणसी: 56 वर्षों से जारी महामूर्ख मेला धूमधाम से संपन्न, गंगा के तट पर हास्य और व्यंग्य की गूंज, पहले हुआ उल्टा विवाह फिर तलाक

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वाराणसी। लगातार 56 वर्षों से आयोजित होने वाला ऐतिहासिक महामूर्ख मेला इस वर्ष भी हंसी-ठहाकों और व्यंग्यपूर्ण माहौल के बीच संपन्न हुआ। इस मेले में नगर के प्रतिष्ठित मूर्खजनों के साथ देशभर से आए महामूर्ख और लंपट वर्ग के विशिष्टजन शामिल हुए।

कार्यक्रम की शुरुआत गर्दभ ध्वनि से हुई, जिसके बाद दूल्हा बनी नारी का सम्मान किया गया और दुल्हन बने पुरुष को सोलह श्रृंगार से सजाया गया। परंपरा के अनुसार, आयोजन में उल्टा-पुल्टा विवाह कराया गया, जहां पुरुष दुल्हन और स्त्री दूल्हे के रूप में नजर आए। हालांकि, विवाह के बाद दूल्हे ने आरोप लगाया कि दुल्हन की मूंछें हैं और वह टकली है, जिससे विवाद शुरू हो गया। समाज के मूर्खजनों ने शादी बचाने की कोशिश की, लेकिन अंततः विवाह विच्छेद हो गया।

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सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी शाम

इसके बाद, मंच पर काशी की नृत्य परंपरा को आगे बढ़ाते हुए स्तुति सेठ, अदिति शर्मा और स्तुति ने प्रसिद्ध कालबेलिया लोक नृत्य की प्रस्तुति दी। इस मनोरंजक आयोजन में उत्तर प्रदेश पुलिस और साइबर क्राइम पुलिस के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया। उन्होंने उपस्थित "मूर्ख" जनों को साइबर ठगी से बचने के लिए जागरूक किया, जिससे वे दोबारा मूर्ख न बनें।

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हास्य कवियों ने जमाया रंग, ठहाकों से गूंजा मेला

कार्यक्रम में देश के ख्याति प्राप्त हास्य कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। मंच से हास्य और व्यंग्य के तीखे तीर छोड़े गए, जिससे मध्यान्ह से लेकर मध्यरात्रि तक ठहाकों की गूंज सुनाई देती रही। प्रमुख कवियों में अखिलेश द्विवेदी, सौरभ जैन सुमन, बिहारी लाल अंबर, सुदीप भोला, बादशाह प्रेमी, संजय सिंह, श्याम लाल यादव, महेश चंद्र जायसवाल और डॉ. प्रशांत सिंह शामिल थे।

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कवि विनोद पाल (दिल्ली) ने कुछ यूं चुटकी ली—

"खुद अपने चरित्र पर ही मूंग दल रहे हो तुम,
अच्छे हो तो क्यों फितरत बदल रहे हो तुम।
अगर लड़की तुम्हें देख के रस्ता बदल रही है,
तो ये जान लो गलत रस्ते पर चल रहे हो तुम!"

महेश चंद्र जायसवाल ने व्यंग्य में बुलडोजर राज की ओर इशारा करते हुए कहा—
"गयल जमाना अबेंस्डर क, अंपाला भी रोअत हव।
आज क राजा बेंज सफारी, आज क राजा रोवर हव।
चाहे रक्खा बीएमडब्ल्यू, चाहे कुछ भोकाल गढ़ा।
सब गाड़ियन क ऐसी तैसी, सबसे हिट बुल्डोजर हव।"

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कवियों और कलाकारों का हुआ सम्मान

इस अवसर पर स्वधन्य रचनाकारों, हास्य कवियों और कलाकारों को थीम पर आधारित हथकड़ी उपहार स्वरूप भेंट की गई। साथ ही, दुपट्टा, स्मृति चिन्ह और माला देकर उनका सम्मान किया गया। महामूर्ख मेले के दूल्हे और दुल्हन बने डॉ. शिव शक्ति प्रसाद द्विवेदी और प्रवीण विश्वास, जबकि पुरोहित की भूमिका बृजेश सिंह पाठक "बड़कू पंडित" और स्पेश पांडे ने निभाई।

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हास्य और उल्लास का दिखा अनूठा संगम

इस महामूर्ख मेले की खासियत यह रही कि मनहूसियत को अगले एक साल के लिए विदा कर दिया गया। लोगों ने ठहाकों के बीच हर ग़म को भुलाकर हास्य का खुलकर आनंद लिया। कार्यक्रम का संचालन दमदार बनारसी ने किया, जिन्होंने अपनी चुटीली बातों से माहौल को और रंगीन बना दिया।

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