वाराणसी : माता कात्यायनी के दर्शन से पापों का होता है नाश, पूरी होती है विवाह की कामना
वाराणसी। चैत्र नवरात्र के छठवें दिन शक्ति के कात्यायनी स्वरूप के दर्शन-पूजन का विधान है। वाराणसी चौक में संकठा मंदिर के पीछे माता कात्यायनी का मंदिर स्थित है। भोर में माता के विग्रह का विशेष श्रृंगार और आरती के बाद मंदिर भक्तों के दर्शन-पूजन के लिए खोल दिया गया। तभी से दर्शनार्थियों की लाइन लगी है। जय माता दी के जयकारे से मां का दरबार गूंज रहा है। ऐसी मान्यता है कि माता भक्तों के सभी पापों का नाश कर देती हैं। बाधाओं को दूर करते हुए कन्याओं के विवाह की इच्छा पूरी करती हैं। 
मंदिर के पुजारी कुलदीप मिश्रा ने बताया कि नवरात्र के छठवें दिन माता कात्यायनी का दर्शन होता है। इनके दर्शन से जिन कुंवारी कन्याओं की शादी नहीं होती, वह अड़चनें दूर हो जाती हैं। माता को पांच या सात मंगलवार को दही-हल्दी लगाने से कन्याओं का जल्द से जल्द विवाह होता है। मान्यता है कि कात्ययान ऋषि ने तपकर देवी से वरदान मांगा था कि आप पुत्री के रूप में मेरे कुल में पैदा हों। देवी ने कात्यायन ऋषि की प्रसन्नता के लिए अपना अजन्मा स्वरूप त्याग कर पुत्री रूप में जन्म लिया था। पिता के गोत्र से जुड़ने के कारण देवी का नाम कात्यायनी पड़ा।
माता के दर्शन-पूजन से भक्तों के सभी पाप व कष्ट दूर हो जाते हैं। माता अपने भक्तों को आत्मज्ञान प्रदान करती हैं। काशी के अलावा वृंदावन में भी माता अधिष्ठात्री देवी हैं। कृष्ण को प्राप्त करने के लिए गोपियों ने माता कात्यायनी की आराधना की थी। व्रत रखकर उनकी पूजा-अर्चना की थी। सिंधिया घाट स्थित मंदिर में भक्त अपनी मनोकमानाएं लेकर पहुंचे हैं। दर्शन-पूजन का क्रम देर रात तक चलता रहेगा।

