वाराणसी : विजयानगरम मार्केट दुकानदारों ने नगर निगम पर लगाया मनमानी का आरोप
वाराणसी। विजयानगरम मार्केट व्यापार मंडल की संयुक्त बैठक में दुकानदारों ने वाराणसी नगर निगम पर गंभीर आरोप लगाए हैं। दुकानदारों का कहना है कि नगर निगम की दुकानों पर वे पिछले लगभग 60 वर्षों से मासिक किरायेदारी के आधार पर व्यवसाय कर रहे हैं। हालांकि, नगर निगम द्वारा मनमाने तरीके से कानून के विपरीत वसूली और आवंटन निरस्त करने की कोशिश की जा रही है, जो नगर निगम अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता।

दुकानदारों के अनुसार, नगर निगम ने 12 अक्टूबर 2023 को बिना कागजातों की जांच किए दुकानदारों का आवंटन निरस्त कर दिया था। इसके खिलाफ पीड़ित दुकानदारों ने प्रयागराज हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कीं, जिनमें याचिका संख्या 4696/24 (मीरा देवी व अन्य) और 4959/24 (जवाहर लाल जायसवाल व 5 अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व 3 अन्य) शामिल हैं। ये याचिकाएं वर्तमान में लंबित हैं।
हाईकोर्ट ने पहले याचिका संख्या 43544/23 में आदेश दिया था कि नगर निगम तीन सप्ताह का समय देकर याचिकाकर्ताओं को नया आवेदन दाखिल करने का अवसर देगा और 12 अक्टूबर 2023 के आदेश के तहत कोई बलपूर्वक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इसके बावजूद, नगर निगम ने याचिका संख्या 4959/24 के लंबित रहते हुए 6 जून, 19 जून और 20 जून 2025 को नए नोटिस जारी किए। दुकानदारों का आरोप है कि ये नोटिस अनर्गल आरोपों पर आधारित हैं और एकपक्षीय कार्रवाई को दर्शाते हैं।
दुकानदारों ने समय-समय पर सभी नोटिसों का साक्ष्य सहित जवाब प्रस्तुत किया है। इसके अतिरिक्त, 24 जून 2025 को पीड़ित दुकानदारों ने अपने बचाव में प्रयागराज हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया, जिसमें न्यायालय ने सप्लीमेंट्री फाइल दाखिल करने का निर्देश दिया। इसकी प्रति उत्तर प्रदेश सरकार और नगर निगम के वकील को भी दी जा चुकी है।

दुकानदारों ने चिंता जताई कि याचिकाओं के लंबित रहने के बावजूद नगर निगम तोड़-फोड़ और बेदखली की कार्रवाई की तैयारी कर रहा है, जो अदालत की अवमानना के दायरे में आता है। उनका कहना है कि नगर निगम ने 12 फरवरी 2024 को याचिका की प्रति प्राप्त करने के बाद भी काउंटर फाइल दाखिल नहीं किया, जिससे उसकी नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।
पीड़ित दुकानदारों ने कहा कि उनकी आजीविका का एकमात्र साधन यही दुकानें हैं और उन्हें न्यायालय के निर्णय पर पूरा भरोसा है। व्यापार मंडल ने नगर निगम से मांग की है कि वह अदालत के आदेशों का सम्मान करे और दुकानदारों के खिलाफ कोई नकारात्मक कार्रवाई न करे।

