वाराणसी में रोपवे परियोजना पर संकट: काशी विद्यापीठ ने विद्युत् उपकेंद्र के लिए जमीन देने से किया इंकार, अधिकारियों ने रुकवाया काम

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वाराणसी। शहर की महत्वाकांक्षी रोपवे परियोजना पर संकट के बादल गहराते जा रहे हैं। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने परियोजना के लिए अतिरिक्त जमीन देने से स्पष्ट इनकार कर दिया है। मामले ने उस समय तूल पकड़ा जब बिना अनुमति विद्युत उपकेंद्र बनाने पहुंचे कर्मचारियों को विश्वविद्यालय अधिकारियों ने रोक दिया।

दरअसल, रोपवे परियोजना के अंतर्गत ललित कला विभाग के पास रोपवे स्टेशन के निकट विद्युत उपकेंद्र बनाए जाने की योजना थी। हालांकि, विश्वविद्यालय ने आरोप लगाया कि राज भवन से अनुमति और अनुबंध के बिना यह कार्य किया जा रहा था।

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काशी विद्यापीठ के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि अतिरिक्त जमीन देने का कोई अनुबंध या अनुमति नहीं है। इसके बावजूद, परियोजना से जुड़े कर्मचारी विद्युत उपकेंद्र बनाने पहुंचे, जिससे विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत हस्तक्षेप कर काम रुकवा दिया। इस दौरान काफी तनाव का माहौल रहा। विवाद बढ़ने पर सिगरा थाना पुलिस को मौके पर बुलाया गया। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया और बिना अनुबंध अतिरिक्त जमीन पर किए जा रहे निर्माण को अधिकारियों ने रोक दिया।

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क्या बोले चीफ प्रॉक्टर?

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के चीफ प्रॉक्टर डॉ. के. के. सिंह ने बताया कि रोपवे को पॉवर सपोर्ट करने के लिए यहां एक विद्युत उपकेंद्र बनाने का प्रयास किया गया था। लेकिन परियोजना के बारे में जो शुरू में जिक्र हुआ था, उसमें इसका कोई जिक्र नहीं था। जिस जमीन के लिए प्रशासन ने अनुबंध किया था, उससे दोगुनी जमीन दी जा चुकी है। जहां ये लोग विद्युत् उपकेंद्र बनाना चाहते हैं, वहां स्कल्पचर विभाग के छात्र अपनी प्रैक्टिस करते हैं, यहां बच्चों का आवागमन लगातार होता रहता है। ऐसे में यहां इस तरह के किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

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कहा कि इन परिस्थितियों को देखते हुए कुलपति ने जिला प्रशासन और रोपवे के अधिकारियों से आग्रह किया है कि रोपवे के अंतर्गत जो विद्युत् उपकेंद्र बनना है, उसे कहीं और शिफ्ट किया जाय। इस सन्दर्भ में राजभवन से भी निर्देश प्राप्त हुए हैं। 

चीफ प्रॉक्टर ने आगे बताया कि हम लोगों के लिखित अनुरोध के बाद भी आज रोपवे के कर्मचारी आए और निर्माण कार्य शुरू करने की कोशिश की। जिसके बाद हमलोगों ने अधिकारियों को पेपर से अवगत कराया और निर्माण कार्य रुकवाया। इस विद्युत् उपकेंद्र के निर्माण के लिए इन लोगों के पास किसी भी प्रकार का कोई अधिकारिक प्रस्ताव नहीं था। ऐसे में काशी विद्यापीठ के ओर से किसी भी अंजान व्यक्ति को कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।


 

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