वाराणसी :  डिजिटल अरेस्ट कर लाखों की ठगी, पुलिस ने गैंग को पकड़ा, ऐसे करते थे जालसाजी 

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वाराणसी। साइबर क्राइम थाना पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के तीन मुख्य सदस्यों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से मोबाइल फोन और नकद धनराशि बरामद की है। यह गिरोह आम लोगों को गिरफ्तारी का डर दिखाकर उनके बैंक खातों का दुरुपयोग कर रहा था। पुलिस उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई में जुटी रही। 

11 मई को महमूरगंज निवासी सुभाष चन्द्र ने साइबर क्राइम थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें फर्जी डिजिटल गिरफ्तारी के नाम पर ठगा गया है। इस आधार पर थाना साइबर क्राइम में मुकदमा संख्या 16/2025, धारा 318(2), 318(4), 308(2) बीएनएस और 66 डी आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया। जांच की जिम्मेदारी निरीक्षक विजय कुमार यादव को सौंपी गई।

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पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, पुलिस उपायुक्त अपराध सरवणन टी., अपर पुलिस उपायुक्त श्रुति श्रीवास्तव एवं सहायक पुलिस आयुक्त विजय प्रताप सिंह के निर्देशन में एक विशेष टीम गठित की गई। टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान गौरव जायसवाल, निवासी आजाद मोहल्ला, थाना कैंट, लखनऊ, ताबिश उर रहमान (21 वर्ष), निवासी हटीरा, खैरबाद, सीतापुर और असद वकील खान (27 वर्ष), निवासी कविवास, बीवाड़, सीतापुर के रूप में की गई। 

गिरोह आम लोगों को पैसे का लालच देकर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवाता था। खाते की पूरी जानकारी व नियंत्रण अपराधियों के पास रहता था। फिर इन खातों का उपयोग विदेशी साइबर ठगों के साथ मिलकर डिजिटल अरेस्ट और निवेश के नाम पर ठगी की रकम मंगवाने में किया जाता था। बाद में रकम को अन्य खातों में ट्रांसफर कर नकद निकाला जाता और विदेशी साथियों को डॉलर में भुगतान किया जाता। पुलिस टीम में प्रभारी निरीक्षक अजय राज वर्मा समेत साइबर थाने की पूरी टीम शामिल रही। पुलिस ने जनता से अपील की है कि किसी भी संदिग्ध कॉल, ईमेल या मैसेज से सतर्क रहें और ठगी की सूचना तुरंत 1930 हेल्पलाइन या नजदीकी थाने में दें।

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