वाराणसी: अब रक्षा सम्पदा की इस 160 एकड़ भूमि पर भी वीडीए से पास कराना होगा नक्शा, बैठक में लिया गया निर्णय 

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वाराणसी। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) ने शहर में रक्षा संपदा के तहत आने वाली 160 एकड़ जमीन पर नियोजित विकास के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह भूमि, जो कैंटोनमेंट और लक्षिपुरा क्षेत्र में स्थित है, वर्तमान में नगर निगम के अधीन प्रबंधन में है। इस भूमि की प्रबंधन स्थिति और इससे जुड़े विवादों के समाधान के लिए आयुक्त, वाराणसी मंडल की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई थी। बैठक के कार्यवृत्त और निर्णयों को लागू करने के लिए संबंधित विभागों को सख्त निर्देश जारी किए गए हैं।

यह भूमि "इंट्रा म्युनिसिपल नजूल" श्रेणी में आती है और इस पर नगर निगम अधिनियम, 1959 और उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 के प्रावधान लागू होते हैं। नगर निगम के मुख्य राजस्व अधिकारी द्वारा 13 मार्च, 2020 को जारी पत्र के अनुसार, इस भूमि के प्रबंधन और अतिक्रमण से संबंधित सभी विवाद इन अधिनियमों के तहत निपटाए जाएंगे।

विधिक स्थिति और प्रबंधन

बैठक में विधिक स्थिति पर स्थायी अधिवक्ता ने स्पष्ट किया कि यह भूमि अभी नगर निगम, वाराणसी के प्रबंधन के अंतर्गत है। जब तक रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार, इस भूमि को छावनी परिषद, वाराणसी के स्वामित्व या प्रबंधन के तहत अधिसूचित नहीं करता, तब तक यह नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में ही रहेगी।

वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग ने इस भूमि पर किसी भी प्रकार के अवैध निर्माण, अतिक्रमण, या मानचित्र स्वीकृति से संबंधित कार्यों पर सख्त आदेश जारी किए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि भू-स्वामियों को किसी भी निर्माण के लिए पहले रक्षा मंत्रालय और नगर निगम से अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) प्राप्त करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, नगर निगम अधिनियम और नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 के प्रावधानों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाएगा।

अनुपालन के निर्देश

बैठक में यह तय किया गया कि वाराणसी विकास प्राधिकरण और नगर निगम को भूमि प्रबंधन और अतिक्रमण हटाने से संबंधित सभी विधिक कार्रवाई का अधिकार होगा। आयुक्त, वाराणसी मंडल की अध्यक्षता में लिए गए निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए दोनों निकायों को निर्देश दिए गए हैं।

इन निर्देशों के तहत अवैध निर्माण हटाने और भूमि प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के लिए दोनों विभागों को पूरी स्वायत्तता प्रदान की गई है। यह भी स्पष्ट किया गया कि बैठक के निर्णयों के अनुसार, नगर निगम और विकास प्राधिकरण को प्रभावी कार्रवाई करनी होगी।

बैठक के मुख्य निर्णय

1.    1894 की शर्तों का पुनः उल्लेख: बैठक में इस तथ्य की पुष्टि की गई कि 1894 में नगर निगम को हस्तांतरित भूमि "इंट्रा म्युनिसिपल नजूल" के रूप में मानी जाएगी। इस भूमि का संचालन म्युनिसिपल मैनुअल के प्रावधानों के तहत किया जाएगा।

2.    नगर निगम का क्षेत्राधिकार: भूमि नगर निगम, वाराणसी के अधिकार क्षेत्र में है। इसके प्रबंधन पर नगर निगम अधिनियम, 1959 और उत्तर प्रदेश नगर नियोजन एवं विकास अधिनियम, 1973 के प्रावधान लागू होंगे।

3.    अवैध निर्माण पर कार्रवाई: नगर निगम और वाराणसी विकास प्राधिकरण को इस भूमि पर किसी भी अवैध निर्माण को हटाने और नियंत्रित करने का अधिकार होगा।

बैठक के निर्णयों के अनुपालन के लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष द्वारा आदेश जारी कर दिए गए हैं। यह तय किया गया है कि 160 एकड़ भूमि के प्रबंधन और विकास में आने वाली सभी चुनौतियों का समाधान कानूनी प्रावधानों के तहत किया जाएगा।

प्रभावी कार्रवाई की प्रतिबद्धता

नगर निगम और वाराणसी विकास प्राधिकरण ने इस भूमि पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई है। इस दिशा में उठाए गए कदमों से न केवल भूमि का प्रबंधन सुधरेगा, बल्कि शहर के विकास में भी तेजी आएगी।
 

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