वाराणसी : साफ हो रहीं गंगा और वरूणा, जल गुणवत्ता में सुधार, नमामि गंगे के तहत हो रहा सतत प्रयास
वाराणसी। गंगा और उसकी सहायक नदियों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे निरंतर प्रयास अब रंग ला रहे हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत शहर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे गंगा नदी की जल गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।
गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई, उत्तर प्रदेश जल निगम (ग्रामीण) के परियोजना प्रबंधक आशीष कुम्पुर सिंह ने बताया कि 2017 तक वाराणसी में एसटीपी की शोधन क्षमता केवल 100 एमएलडी थी, जो अब बढ़कर 420 एमएलडी हो गई है। वर्तमान में, वाराणसी में सात प्रमुख एसटीपी संचालित हैं, जिनमें दीनापुर (80 और 140 एमएलडी), रमना (50 एमएलडी), गोइठहाँ (120 एमएलडी), और रामनगर (10 एमएलडी) शामिल हैं।
निर्माणाधीन और प्रस्तावित परियोजनाएं
भगवानपुर में 55 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और सूजाबाद में 7 एमएलडी का एसटीपी निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा, लोहता के दुर्गा नाले के लिए 55 एमएलडी क्षमता के एसटीपी और दीनापुर में स्थापित 80 एमएलडी क्षमता के एसटीपी को 220 एमएलडी तक बढ़ाने के प्रस्ताव भेजे गए हैं। इन परियोजनाओं से गंगा और वरुणा नदी की जल गुणवत्ता में और सुधार की उम्मीद है।
जल गुणवत्ता में सुधार के प्रमाण
नेशनल वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग प्रोग्राम के तहत जल परीक्षण से पता चला है कि 2017 में गंगा के अपस्ट्रीम में फीकल कॉलीफॉर्म 1300 और डाउनस्ट्रीम में 23000 एमपीएन/100 एमएल था, जो 2024 में क्रमशः घटकर 490 और 4900 एमपीएन/100 एमएल रह गया है। बीओडी स्तर भी प्राथमिकता खंड-5 (3-6 पीपीएम) तक आ गया है, जो पहले प्राथमिकता खंड-4 (6-10 पीपीएम) में था।
भविष्य की दिशा
नमामि गंगे और अमृत 2.0 योजनाओं के तहत चल रही परियोजनाएं वाराणसी की जल शोधन क्षमता को और मजबूत करेंगी, जिससे गंगा और वरुणा नदियों की स्वच्छता और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलेगी।

