वाराणसी में कई दिन उफान के बाद घटाव पर गंगा, तटवर्ती इलाके में बाढ़ जैसे हालात, घाट डूबे
- दशाश्वमेध घाट पर सड़क से चंद कदम दूरी पर गंगा का पानी
- ग्रामीण इलाकों में भी फैला गंगा का पानी, वरूणा में उलट प्रवाह
- शुक्रवार को 3 सेमी प्रति घंटा की रफ्तार से जलस्तर में गिरावट
वाराणसी। कई दिनों तक उफान पर रहने के बाद गंगा का पानी शुक्रवार को घटने लगा। जलस्तर में 3 सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गिरावट आ रही है। गंगा के पानी में घाट डूब चुके हैं। नमो घाट पर बना नमस्ते का स्कल्पचर आधा से अधिक पानी में डूब चुका है। वहीं दशाश्वमेध घाट पर भी चंद सीढ़ियां बची हैं। इसके बाद पानी सड़क तक पहुंच जाएगा। गंगा के रौद्र रूप के चलते तटवर्ती इलाके में लोग सहमे हुए थे। जलस्तर में गिरावट के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है।
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार शुक्रवार की सुबह गंगा के जलस्तर में 3 सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गिरावट आ रही है। जलस्तर 69.3 मीटर पर है। पिछले पांच दिनों से गंगा में पानी बढ़ रहा था। जलस्तर में वृद्धि की रफ्तार इतनी तेज थी कि चेतावनी बिंदु से 10 मीटर नीचे रहा गंगा का जलस्तर इसके करीब पहुंच गया। देखते ही देखते घाट जलमग्न हो गए। वहीं तटवर्ती इलाकों में पानी भर गया। इससे घाटों से पंडे-पुरोहितों को पलायन करना पड़ा। वहीं आरती स्थल को बदलना पड़ा। मणिकर्णिका घाट पर चिताएं भी छत पर और गलियों में जलाई जा रही हैं।
वाराणसी में गंगा में चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर और खतरे का बिंदु 71.262 मीटर है। पानी 69 मीटर से ऊपर पहुंचने के साथ ही तटवर्ती इलाके में दुश्वारी बढ़ गई। गंगा के जलस्तर में वृद्धि से वरूणा में भी उलट प्रवाह शुरू हो गया है। इससे वरूणा के आसपास के इलाकों में पानी फैलने लगा है। लोगों के घरों में पानी घुसने लगा है। ऐसे में लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं।
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