Varanasi Flood: चेतावनी बिंदु के करीब पहुंचा गंगा का जलस्तर, उफान पर आईं वरुणा, घरों में घुसा पानी, सुरक्षित ठिकानों की ओर भागे लोग

Varanasi Flood
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वाराणसी। पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार हो रहे तेज बारिश के कारण नदियां काफी उफान पर हैं। मैदानी इलाकों पर इस बरसात का असर ज्यादा देखने को मिल रहा है। वाराणसी समेत गंगा के तटीय इलाकों में गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। गंगा के जलस्तर में बढ़ाव के कारण वरुणा में भी उफान है। ऐसे में बुधवार को वरुणा के तटीय इलाकों शैलपुत्री, सरैया, ढेलवरिया आदि क्षेत्रों में लोगों के घरों में पानी घूस गया। जिससे लोग सुरक्षित ठिकानों की ओर कूच करने लगे। 

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गंगा का जलस्तर चेतावनी बिंदु की ओर तेजी से बढ़ रहा है। बुधवार की शाम गंगा गंगा का जलस्तर 68.67 मीटर दर्ज किया। जो कि चेतावनी बिंदु से करीब 2 मीटर की दूरी पर है। कयास लगाये जा रहे हैं कि गंगा का पानी यदि इसी तरह लगातार बढ़ा तो जल्दी ही जलस्तर चेतावनी बिंदु को भी पार कर लेगा। 

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गंगा के जलस्तर में वृद्धि के कारण घाट पर रहने वाले लोग और आम जनमानस परेशान हैं। एक तरफ जहां सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए लोग जगह तलाश रहे हैं, तो वहीं प्रशासन भी तैयारी में जुट गया है। वाराणसी में हर बार गंगा में होने वाली बढ़ोतरी दोहरी स्तर से पड़ती है, क्योंकि एक तरफ जहां गंगा का पानी तेजी से ऊपर चढ़ता है, तो वहीं दूसरी ओर गंगा की सहायक नदी वरुणा भी तबाही मचाती है। 

दोनों नदियां एक साथ उफान पर होने की वजह से बनारस की बड़ी आबादी को प्रभावित करती हैं और इस बार भी इन दोनों नदियों के बढ़ने का सिलसिला जारी है। जिसके बाद लोग अब सुरक्षित ठिकानों पर जाने की तैयारी कर रहे हैं और प्रशासन ने भी इसको लेकर तैयारी शुरू कर दी है। 

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गलियों और छतो पर हो रहा शवदाह 

काशी में दो प्रमुख श्मशान घाट है जहां पर लोग शव का अंतिम संस्कार करने पहुंचते हैं। गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ने के कारण यहां के दोनों श्मशान घाट के प्लेटफार्म डूब गए हैं। हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह गलियों में करना पड़ रहा है, तो मणिकर्णिका घाट पर केवल 8 प्लेटफार्म छत पर बचे हैं। बता दें कि जौनपुर, भदोही, मिर्जापुर, ग़ाज़ीपुर, सोनभद्र, बलिया, गोरखपुर सहित पूर्वांचल के तमाम जिलों से लोग यहां शवदाह को आते हैं। दशाश्वमेध घाट स्थित शीतला माता मंदिर की मुख्य सीढ़ियां पूरी तरह डूब चुकी हैं। इससे शवों का दाह संस्कार अब छतों पर किया जा रहा है। घाट किनारे के सभी छोटे-बड़े मंदिरों में गंगा का पानी प्रवेश कर चुका है।

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