काशी के टोटो चालकों का दो दिवसीय हड़ताल, कल पीएमओ जाकर प्रधानमंत्री को सौपेंगे ई-रिक्शा की चाबी, जताएंगे विरोध
हड़ताल के कारण पूरे शहर में ई-रिक्शा सेवा बाधित रही। जिससे लोगों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। हालांकि अन्य सेवाओं जैसे ऑटो, बस आदि सेवाओं के जारी रहने के कारण पब्लिक को थोड़ी राहत रही। ई-रिक्शा चालकों का यह हड़ताल मंगलवार को भी जारी रहेगा।
अखिल भारतीय टोटो यूनियन के अध्यक्ष प्रवीण काशी ने कहा कि ई-रिक्शा चालकों ने अपनी मांगों को लेकर चार दिनों से अनशन शुरू कर रखा है, लेकिन प्रशासन या यातायात पुलिस की ओर से अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। प्रशासन ने हमारे अनशन को नजरअंदाज किया है। यह सत्याग्रह स्वास्थ्य जांच के रूप में शुरू हुआ, जो प्रशासन के लिए एक स्पष्ट संदेश था, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया है।
प्रवीण काशी ने कहा कि आज हमने महापंचायत में निर्णय लिया है कि सभी टोटो चालकों को एकजुट होकर प्रशासन के द्वारा की जा रही एरिया बंटवारे और बारकोड लगाने की योजना का बहिष्कार करना चाहिए। कोई भी टोटो चालक बारकोड नहीं लगाएगा और न ही प्रशासन के किसी विभाजनकारी योजना का हिस्सा बनेगा। 9 और 10 तारीख को बनारस में टोटो चालकों की पूरी तरह से हड़ताल होगी, जिसमें एक भी टोटो सड़क पर नहीं चलेगा। यूनियन ने यह फैसला लिया है, और सभी टोटो चालक इसे मानेंगे।
यदि कोई टोटो चालक गलती से या किसी के बहकावे में आकर बारकोड लगवा लेता है, तो उसे एक ही इलाके में सीमित कर दिया जाएगा। इसका परिणाम यह होगा कि उसकी कमाई घट जाएगी, क्योंकि एक ही मोहल्ले में गाड़ी चलाने पर यात्रियों की संख्या कम होगी और उनकी आय पर असर पड़ेगा। महंगाई के इस दौर में टोटो चालकों के लिए जीवन यापन कठिन हो गया है, और इसलिए यह हड़ताल उनके अस्तित्व की लड़ाई है।
कहा कि प्रशासन की नीतियों का उद्देश्य टोटो चालकों की रोजी-रोटी को समाप्त करना है, जबकि ऑटो चालकों को इस तरह के प्रतिबंधों का सामना नहीं करना पड़ता। बनारस में लगभग 22,000 ऑटो चालक हैं, जिनके लिए परमिट बंद हैं, लेकिन उन्हें कहीं भी काम करने की अनुमति है। वहीं, लगभग 25,000 टोटो चालकों की स्थिति लगातार कठिन होती जा रही है। यह केवल चालकों का मामला नहीं है; इसमें मैकेनिक, एजेंसी कर्मचारी और उनके परिवार भी शामिल हैं, जो इस नीति से प्रभावित होंगे। यह नीति रोजगार विरोधी है, और हम इसे सफल नहीं होने देंगे।
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