ISARC में प्रशिक्षण, वाराणसी समेत आसपास के जिलों के किसानों ने सीखा डीएसआर और जीरो टिलेज तकनीक

वाराणसी। अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र (ISARC) में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, महाराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, वाराणसी, जौनपुर, चंदौली और गाजीपुर जिलों से 70 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। किसानों को डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) और जीरो टिलेज व्हीट (ZTW) जैसी नवीनतम कृषि तकनीकों से अवगत कराया गया। इस तकनीकी से खेती की लागत कम हो, पानी की बचत हो और पैदावार में वृद्धि होती है।
कार्यक्रम का उद्घाटन आइसार्क के निदेशक डॉ. सुधांशु सिंह ने किया। इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, विश्व बैंक, बायर क्रॉप साइंस और सवाना जैसी संस्थाओं के विशेषज्ञ भी मौजूद रहे। डॉ. सुधांशु सिंह ने कहा, कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में कृषि की अपार संभावनाएं हैं। यदि किसान नई तकनीकों को अपनाते हैं, तो उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। आइसार्क किसानों को आधुनिक तकनीक, बाजार से जुड़ाव और कार्बन क्रेडिट जैसी सुविधाओं तक पहुंच दिलाने के लिए कई परियोजनाओं पर कार्य कर रहा है।"
प्रशिक्षण के दौरान खाद-उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण और आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग की जानकारी दी गई। बायर क्रॉप साइंस और सवाना के विशेषज्ञों ने उन्नत बीज, आधुनिक दवाओं और मशीनों की उपयोगिता पर प्रकाश डाला, जिससे किसानों को पारंपरिक खेती से अधिक लाभदायक तरीकों की ओर प्रेरित किया जा सके। इरी के वैज्ञानिक डॉ. मलिक ने कहा कि यह प्रशिक्षण सिर्फ जानकारी देने तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों को नई तकनीकों को आत्मविश्वास के साथ अपनाने के लिए तैयार करने का अवसर भी है।
विश्व बैंक की प्रतिनिधि डॉ. अंजलि सुनील परसनीस ने बताया कि उत्तर प्रदेश में डीएसआर तकनीक को बढ़ावा देने के लिए 12 जिलों में कार्य किया जा रहा है और अगले कुछ वर्षों में 1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इस तकनीक को लागू करने का लक्ष्य है। प्रशिक्षण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा फील्ड विजिट रहा, जहां किसानों ने आइसार्क के मैकेनाइजेशन हब में मशीनों के संचालन, बीज ड्रिल की सेटिंग और रखरखाव के बारे में व्यावहारिक अनुभव प्राप्त किया।
कार्यक्रम के अंत में किसानों और विशेषज्ञों ने नवीनतम तकनीकों को बड़े पैमाने पर अपनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बाजार सुविधाओं के विस्तार पर चर्चा की। यह प्रशिक्षण पूर्वी उत्तर प्रदेश के किसानों को कृषि के आधुनिक तरीकों से जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।