वाराणसी में शुरू हुआ ‘टीका उत्सव’, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य, स्वास्थ्य विभाग ने चलाया महाअभियान

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वाराणसी। जिले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से गुरुवार से ‘टीका उत्सव’ अभियान की शुरुआत की गई, जिसका उद्देश्य जिले की सभी गर्भवती महिलाओं तथा 0–5 वर्ष तक के बच्चों को समय पर पूर्ण टीकाकरण की सुविधा सुनिश्चित करना है। यह विशेष अभियान पूरे दिसंबर माह संचालित किया जाएगा, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, उपकेंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी टीमों की निर्णायक भूमिका रहेगी।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि टीकाकरण संक्रामक रोगों से सुरक्षा प्रदान करने की सबसे प्रभावी प्रक्रिया है, जो शरीर में प्रतिरक्षा विकसित कर गंभीर बीमारियों से बचाव करती है। उन्होंने कहा कि टीबी, पोलियो, खसरा, काली खांसी, गलघोंटू, टेटनस, डायरिया और निमोनिया जैसे रोगों से बच्चों की रक्षा के लिए टीके अत्यंत आवश्यक हैं। प्रभावी टीकाकरण के चलते मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आती है, समुदाय में संक्रामक रोगों के प्रसार पर नियंत्रण होता है और आर्थिक बोझ भी कम होता है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एस.एस. कनौजिया ने बताया कि अभियान के तहत निर्धारित टीकाकरण सत्रों में गर्भवती महिलाओं, शिशुओं तथा किशोर–किशोरियों को उम्र के अनुसार आवश्यक सभी टीके लगाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जन्म पर बीसीजी, ओपीवी-0 और हेपेटाइटिस-बी जन्म खुराक दी जाती है; वहीं 6, 10 और 14 सप्ताह पर ओपीवी, पेंटावैलेंट, रोटावायरस, आईपीवी और पीसीवी लगाए जाते हैं। 9–12 माह के बच्चों को एमआर-1, आईपीवी और पीसीवी बूस्टर, जबकि 16–24 माह में एमआर-2, डीपीटी बूस्टर-1 और ओपीवी बूस्टर दिया जाता है। 5–6 वर्ष पर डीपीटी बूस्टर-2 तथा 10 व 16 वर्ष के किशोरों को टीडी का टीका लगाया जाता है। गर्भवती महिलाओं को टीडी-1, टीडी-2 तथा आवश्यकता अनुसार टीडी बूस्टर देना अनिवार्य है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने जिले के लोगों से अपील की कि वे अपने बच्चों और गर्भवती महिलाओं को निर्धारित समय पर टीकाकरण केंद्रों तक अवश्य लेकर जाएँ। उन्होंने कहा, “पूर्ण टीकाकरण हर बच्चे का अधिकार है और यह पूरे समुदाय की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम है।”

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