तिब्बत की रक्षा मंत्री डोल्मा गायरी बोलीं, स्वतंत्रता का अर्थ हमसे बेहतर कौन जानता है, चीन की नीतियों पर उठाए सवाल

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वाराणसी। काशी में आयोजित “कैलाश मानसरोवर और भारत-तिब्बत संबंधों का वैश्विक परिदृश्य” विषयक कार्यक्रम के दौरान तिब्बत की रक्षा मंत्री डोल्मा गायरी का दर्द मंच पर छलक पड़ा। अपने संबोधन के दौरान वह कई बार भावुक हो गईं और आंसुओं के साथ तिब्बतियों की पीड़ा को शब्दों में बयां किया। चीन द्वारा तिब्बत और भारत की भूमि पर कब्जे के सवाल पर उन्होंने खुलकर अपनी व्यथा रखी।

डोल्मा गायरी ने कहा कि स्वतंत्रता क्या होती है, यह उनसे बेहतर कौन समझ सकता है जिनका अपना देश नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत के नागरिक कश्मीर से कन्याकुमारी तक स्वतंत्र रूप से यात्रा कर सकते हैं, लेकिन वह स्वयं अपने माता-पिता के घर तक जाने और कैलाश मानसरोवर की यात्रा बिना किसी रोक-टोक के करने की इच्छा आज भी पूरी नहीं कर पा रही हैं। यह पीड़ा केवल उनकी नहीं, बल्कि हर तिब्बती की है।

कार्यक्रम के बाद मीडिया से बातचीत के दौरान भी वह भावुक दिखीं। उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्षों से चीन के साथ तिब्बत को लेकर वार्ताएं चल रही हैं, लेकिन इनका कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है। तिब्बत के युवा लगातार सवाल कर रहे हैं कि इतने वर्षों की बातचीत के बाद भी उन्हें क्या मिला। वहीं भारत के युवा भी पहले की तरह कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः शुरू करने की मांग करते हैं।

डोल्मा गायरी ने कहा कि कुछ लोग यह भी कहते हैं कि भारत को चीन पर सीधा हमला कर देना चाहिए, लेकिन हर देश की अपनी सीमाएं और कूटनीतिक मजबूरियां होती हैं। भारत के साथ भी कुछ लिमिटेशन होंगी, जिन्हें समझना जरूरी है। उन्होंने तिब्बत और भारत के युवाओं को आशा की किरण बताते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी ही भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी। उनकी चेतना, सवाल और संघर्ष ही एक दिन स्वतंत्रता की राह को मजबूत बनाएंगे।

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