बाबा कालभैरव संग नव स्वरूप में पूजी गई कन्याएं, अघोरपीठ में संपन्न हुआ नवमी कन्या पूजन, हजारों श्रद्धालु रहे उपस्थित
वाराणसी। नवरात्र के आठ दिन के बाद नौवें दिन यानि नवरात्र की नवमी का बड़ा महात्म्य है। जनश्रुतियों के मुताबिक़ नवरात्र में नौ दिन जिन देवियों पूजा-अर्चना की जाती है, नवमी के दिन उन्हीं नौ देवियों की विदाई का कार्यक्रम होता है। इस दिन नौ शक्ति-स्वरूपा देवियों के साथ काल भैरव जी की भी पूजा-अर्चना का प्रावधान होता है।
'नवमी कन्या पूजन' की परम्परा यूँ, तो उत्तर-भारत के हर आश्रमों, देव स्थानों और यहां तक कि घर-घर में है लेकिन कुछ आध्यात्मिक स्थानों पर इसका बहुत ही महत्व है। इन स्थानों पर 'नवमी कन्या पूजन' देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। इन्हीं में से एक स्थान है रविन्द्रपुरी स्थित विश्वविख़्यात अघोरपीठ 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड'।
दुनिया भर के तमाम साधकों, औघड़, अघोरियों के तीर्थ के रुप में प्रसिद्द 'बाबा कीनाराम स्थल' पर बुधवार को 'नवमी कन्या पूजन' देखने के लिए लोग दूर-दूर से आये थे। पूरी दुनिया में अघोर परंपरा के ईष्ट-आराध्य-मुखिया और 'बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड' के वर्तमान पीठाधीश्वर, अघोराचार्य महाराज बाबा सिद्धार्थ गौतम राम जी, के दिशा निर्देशन में संपन्न हुए 'नवमी कन्या पूजन' के दौरान नौ बालिकाओं को शक्ति-स्वरूपा देवी तथा एक बालक को काल भैरव बाबा के श्रृंगार में विराजमान किया गया था।
आचार्य प्रकाश तथा संगीता सिंह की देख-रेख में देवी स्वरूप कन्याओं का पांव पखारा गया। आरती उतारी गयी और तमाम व्यंजनों से सजा प्रसाद उन्हें भोग के रूप में अर्पित किया गया और सभी लोगों ने इन नौ देवी कन्याओं के साथ काल भैरव बालक के चरणों में माथा टेककर आशीर्वाद लिया और देश-दुनिया के लिए मंगलकामना किया। 'बाबा कीनाराम स्थल' में 'नवमी कन्या पूजन' के दौरान 'हर-हर महादेव' का उद्घोष होता रहा। इस अवसर पर तमाम साधू-संत, महात्माओं के अलावा हज़ारों भक्त-श्रद्धालुजन मौजूद रहे।
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