नवरात्रि पर इस बार 8 दिनों तक होगा मां के नौ स्वरूपों का पूजन, हाथी पर सवार होकर आ रहीं मां जगदम्बा, जानिए कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

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वाराणसी। साधना और आराधना का पवित्र पर्व चैत्र नवरात्र शुरू होने में कुछ घंटे शेष हैं। इस बार नवरात्र 30 मार्च से शुरू हो रही है। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होती है। इसी दिन से भारतीय नववर्ष शुरू होता है। इसलिए चैत्र नवरात्रि को हिंदू धर्म में बहुत महत्व दिया गया है। चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा की पूजा और व्रत किए जाते हैं। 

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, साल में 4 बार नवरात्र मनाए जाते हैं, जिसमें से शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र की जानकारी को अधिकतर लोगों को होगी, लेकिन इसकी से साथ साल में दो बार गुप्त नवरात्र भी किए जाते हैं, जो माघ और आषाढ़ के महीने में  आते हैं। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत मानी जाती है। देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का पर्व चैत्र नवरात्र 30 मार्च को कलश स्थापना के साथ शुरू होगी। इसबार सर्वार्थ सिद्धि योग में मां जगदंबे की आराधना होगी। चैत्र नवरात्र का शुभारंभ 30 मार्च से हो रहा है। इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी और यह किसानों के लिए शुभ रहेगा। माता का हाथी पर आगमन और गमन होने से भक्तों पर उनकी कृपा बरसेगी। यह जानकारी काशी हिंदू विश्वविद्यालय संस्कृत विद्याधर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग के प्रोफेसर सुभाष पांडे ने दी। 

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प्रोफेसर सुभाष पांडे ने बताया कि हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्र की पूजा का विशेष महत्व है। नवरात्र में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। माता का पूजन करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस बार चैत्र नवरात्र में दुर्लभ संयोग बन रहा है। उन्होंने बताया कि 29 मार्च को शाम 4.28 बजे प्रतिप्रदा तिथि का शुभारंभ होगा, मगर उदया तिथि के चलते 30 मार्च को प्रथम नवरात्र होगा।

हाथी पर माता का होगा आगमन 

प्रथम नवरात्र को सर्वार्थ सिद्धि योग और रेवती नक्षत्र के साथ ऐंद्र योग बन रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए सभी कार्यों में सफलता मिलती हैं। इसके अलावा माता का इस बार आगमन और गमन हाथी पर होना भी विशेष संयोग है। हाथी पर माता का आगमन होने से अच्छी वर्षा और अच्छी खेती होगी। जिससे देश में अन्न और धन के भंडार बढ़ेंगे। हाथी को ज्ञान व समृद्धि का प्रतीक है। हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा अपने साथ सुख-समृद्धि लेकर आएंगी।

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पंचमी तिथि का लोप होने के कारण आठ दिन का ही व्रत 

ज्योतिषाचार्य प्रोफेसर सुभाष पांडे ने बताया कि नौ दिनों के नवरात्र में पंचमी तिथि का लोप होने के कारण आठ दिन का ही व्रत और पूजन होगा। अष्टमी तिथि का व्रत पांच अप्रैल और संधि पूजन छह अप्रैल को होगा। नवमी तिथि और नवरात्रि का समापन छह अप्रैल को होगा। श्रीराम जन्मोत्सव भी छह अप्रैल को मनाया जाएगा। इस पक्ष में पंचमी तिथि की हानि होने से यह पक्ष 14 दिन का ही रहेगा। 

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि में कलश स्थापना की विशेष परम्परा है जिसका पहला मुहूर्त: 30 मार्च 2025 को सुबह 6:12 से 10:20 बजे तक। अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:49 बजे तक।

सुबह 10:30 बजे से दोपहर 12:00 बजे के बीच घटस्थापना करने से बचें। इस बार चैत्र नवरात्र की महाष्टमी और महानवमी एक ही दिन पड़ रहा है क्योंकि इस बार पंचमी तिथि का क्षय हो रहा है। इस वर्ष अष्टमी और नवमी तिथियाँ क्रमशः 5 अप्रैल और 6 अप्रैल 2025 को पड़ेंगी।

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कलश स्थापना की विधि

ज्योतिषाचार्य प्रोफेसर सुभाष पांडे के अनुसार एक दिन पहले जौ को पानी में भिगो कर रख लें और अंकुरित होने दें। उसके बाद अगले दिन यानी कलश स्थापना के समय पूजा घर को गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें। फिर माता दुर्गा की तस्वीर या प्रतिमा लगाएं. बालू में पानी डालें और जौ को रख दें।

जौ के ऊपर कलश में पानी भरकर स्थापित करें। कलश के ऊपर नारियल अवश्य रखें। साथ ही धूप और दीप अवश्य जलाएं। बाएं तरफ धूप और दाहिने तरफ दीप जलाएं। उसके बाद कलश में आम्र पल्लव रखें। साथ ही हर रोज पुष्प, नैवेद्य अर्पण करें। कलश स्थापना के बाद पूरे 8 दिन तक पाठ अवश्य करें।
 

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