इस बार अनोखा होगा महाकुंभ, डिजिटल युग का बनेगा उदाहरण: आयुष मंत्री ‘दयालु’ बोले – मेला क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की नहीं होगी कोई कमी, 24 घंटे अलर्ट रहेंगे डॉक्टर्स
वाराणसी। 12 वर्षों के इंतजार के बाद प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ 2025 को एक ऐतिहासिक, भव्य और तकनीकी दृष्टिकोण से अद्वितीय आयोजन बनाने की तैयारी जोरों पर है। उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र "दयालु" ने शुक्रवार को वाराणसी में सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता के दौरान आयोजन की प्रमुख तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि महाकुंभ 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक डिजिटल युग का अद्भुत उदाहरण बनाया जाएगा।

मेला क्षेत्र में लगाए गए 27 हजार सीसीटीवी
डॉ. मिश्र ने बताया कि महाकुंभ में स्नान, ध्यान, ठहरने और चिकित्सा जैसी सभी सुविधाओं को आधुनिक और तकनीकी दृष्टिकोण से व्यवस्थित किया गया है। श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए छह स्तरीय व्यवस्था की गई है, जिसमें पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी के लिए 27,000 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। स्वच्छता पर विशेष ध्यान देते हुए मेला क्षेत्र को 24 सेक्टरों में विभाजित किया गया है।
साधु-संतों और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 24×7 चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित की गई हैं। मेला क्षेत्र में कुल 20 अस्थायी चिकित्सालय स्थापित किए गए हैं, जिनमें 10 आयुर्वेद और 10 होम्योपैथिक चिकित्सा सुविधाएं शामिल हैं। प्रत्येक चिकित्सालय में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम, फार्मासिस्ट और सहायक कर्मचारियों को तैनात किया गया है।

आयुष चिकित्सा की विशेष पहल: 68 डॉक्टर्स समेत 50 फार्मासिस्टों की लगाई गई ड्यूटी
आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों को महाकुंभ में प्रमुखता दी गई है। इन पद्धतियों की लोकप्रियता और उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए मेला क्षेत्र में 40 आयुष चिकित्साधिकारी, 28 आयुर्वेद विशेषज्ञ और 50 फार्मासिस्टों को नियुक्त किया गया है। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक सेक्टर में स्थापित अस्थायी चिकित्सालयों के अलावा बड़े आध्यात्मिक पंडालों में विशेष चिकित्सा शिविर भी आयोजित किए जाएंगे।
महाकुंभ में आयुर्वेद और होम्योपैथिक चिकित्सा की ओर विशेष झुकाव देखने को मिलेगा। इन पद्धतियों की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करने के लिए मेला क्षेत्र में औषधीय पौधों का प्रदर्शन और उनके उपयोग की जानकारी दी जाएगी। किसानों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए औषधीय पौधों की खेती और विपणन की जानकारी भी साझा की जाएगी।

योग और स्वस्थ जीवन शैली का प्रदर्शन
आयुष मंत्रालय के अंतर्गत मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली की एक विशेषज्ञ टीम मेला क्षेत्र में योग प्रदर्शन करेगी। यह टीम प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक पंडालों में योग सत्र आयोजित करेगी, जिससे श्रद्धालुओं को योग और स्वस्थ जीवनशैली के महत्व को समझने का अवसर मिलेगा।
सांस्कृतिक एकता और "वसुधैव कुटुंबकम" का संदेश
डॉ. दयाशंकर मिश्र ने कहा कि महाकुंभ न केवल धार्मिक आस्था को सुदृढ़ करेगा, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता और "वसुधैव कुटुंबकम" के दर्शन को भी वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करेगा। यह आयोजन भारत की सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक होगा, जहां लाखों श्रद्धालु एकजुट होकर सनातन धर्म और परंपराओं का अनुभव करेंगे।

डिजिटल महाकुंभ का अनूठा स्वरूप
महाकुंभ 2025 को डिजिटल और ऐतिहासिक बनाने के लिए सभी तैयारियां की जा रही हैं। श्रद्धालुओं को आसानी से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए एक डिजिटल पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन विकसित किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से मेले से संबंधित हर जानकारी, जैसे स्नान की तिथियां, ट्रैफिक प्लान, चिकित्सा सेवाएं और ठहरने की सुविधाएं, ऑनलाइन उपलब्ध होंगी।

अस्थायी चिकित्सालयों का स्थान निर्धारण
मेला क्षेत्र में आयुर्वेद और होम्योपैथिक चिकित्सालयों की स्थापना को रणनीतिक रूप से व्यवस्थित किया गया है। इनमें से कुछ प्रमुख स्थान हैं:
• आयुर्वेदिक चिकित्सालय: सेक्टर 2 काली फ्लाईओवर लिंक मार्ग, सेक्टर 6 नागवासुकी मार्ग, सेक्टर 16 हर्षवर्धन मार्ग।
• होम्योपैथिक चिकित्सालय: सेक्टर 1 काली मार्ग, सेक्टर 9 बजरंग दास मार्ग, सेक्टर 21 संगम लोअर पूरब।

महाकुंभ: स्वास्थ्य और अध्यात्म का संगम
आयुष विभाग के प्रयासों से इस बार का महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन होगा, बल्कि यह स्वास्थ्य, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देगा। विभाग ने सुनिश्चित किया है कि इस आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं को आयुष चिकित्सा पद्धतियों का लाभ पूरी तरह से मिले।
महाकुंभ 2025 भारत के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और तकनीकी विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा। यह आयोजन न केवल श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक शांति और सांस्कृतिक एकता का माध्यम बनेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक धरोहर को एक नई पहचान देगा।

