काशी का अनोखा मंदिर, जहां की दीवारों पर अंकित है मानस की चौपाईयां, सतयुग से त्रेता और द्वापर की 54 झांकियों का सावन में होता है दर्शन
वाराणसी। मंदिरों के शहर काशी में अनगिनत मंदिर हैं। यहां के कण-कण में शंकर हैं, तो दूसरी ओर शंकर के आराध्य राम की भी पूजा यहां पर होती है।यहां एक ओर काशी विश्वनाथ हैं, तो दूसरी ओर रुद्रावतार हनुमान के मंदिर हैं।
काशी के प्रमुख मंदिरों में से एक तुलसी मानस मंदिर भी है। जहां लोग आते हैं दर्शन पूजन के इरादे से, लेकिन यहां आकर इसकी भव्यता में खो जाते हैं। इस मंदिर की अपनी एक अलग खासियत है। जो भी दर्शनार्थी आता है, बस मंदिर की यादों में खो जाता है। तुलसी मानस मंदिर की दीवारों पर रामचरितमानस के दोहे और चौपाईयां अंकित हैं।
सावन में इस मंदिर में विशेष झांकियां आयोजित की जाती हैं। जिसमें सतयुग से लेकर त्रेता, द्वापर और कलयुग की सचल झांकियां दिखाई जाती हैं। इसमें भगवान विष्णु के दशावतार, भगवान शिव, दक्ष यज्ञ, गजराज के बुलाने पर भगवान विष्णु द्वारा मकर वध, भगवान श्री राम व श्री कृष्ण का जीवन चक्र आदि की झांकियां दिखाई जाती हैं। जो देखने में वास्तव में मनोरम लगता है। यहां देश-विदेश से लोग दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
तुलसी मानस मंदिर के मुख्य पुजारी नित्यानंद तिवारी के मुताबिक, पहले यहां छोटा सा मंदिर हुआ करता था। सन 1964 में कलकत्ता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल सुरेका ने तुलसी मानस मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। यहां पर मधुर स्वर में संगीतमय रामचरितमानस संकीर्तन गुंजायमान रहता है। यहां पर भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी की प्रतिमाएं हैं। इसके अलावा यहां एक तरफ माता अन्नपूर्णा और शिवजी तथा दूसरी तरफ भगवान सत्यनारायण का मंदिर भी है।
मुख्य पुजारी ने बताया कि मंदिर में 54 झांकियां लगी हुई हैं। दीवारों पर रामचरित मानस के सातों खंड की चौपाईयां अंकित की हुई हैं। यहां देश विदेश से आकर लोग महापुरुषों के जीवन को स्वयं में धारण करने की कोशिश करते हैं। सावन में यहां चहलकदमी काफी बढ़ जाती है।
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसी स्थान पर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी, इसलिए इसे तुलसी मानस मंदिर कहा जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मंदिर की भव्यता की तारीफ कर चुके हैं। यह मंदिर दुर्गाकुंड क्षेत्र में स्थित है।
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